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कड़े मुकाबले के बीच हाथ से हाथ मारकर बन रहा हार-जीत का गणित

दीवाली से पहले लोकतंत्र के महापर्व को लेकर गांव से शहर तक हर तरफ उत्साह है। सियासी फिजा दिनोंदिन बदल रही है। मुद्दे बाहर आ रहे हैं और चुनावी रण में उतरे प्रत्याशियों की हार-जीत का गणित लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। चुनावी माहौल जांचने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने यमुनानगर विधानसभा के नयागांव का दौरा किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 07:40 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 07:40 AM (IST)
कड़े मुकाबले के बीच हाथ से हाथ मारकर बन रहा हार-जीत का गणित
कड़े मुकाबले के बीच हाथ से हाथ मारकर बन रहा हार-जीत का गणित

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : दीवाली से पहले लोकतंत्र के महापर्व को लेकर गांव से शहर तक हर तरफ उत्साह है। सियासी फिजा दिनोंदिन बदल रही है। मुद्दे बाहर आ रहे हैं और चुनावी रण में उतरे प्रत्याशियों की हार-जीत का गणित लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। चुनावी माहौल जांचने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने यमुनानगर विधानसभा के नयागांव का दौरा किया।

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गांव में प्रवेश करते ही दुकानों के सामने बैठे ग्रामीण अपनी बातों में मशगूल मिले। कोई बेंच पर थपकी मारकर किसी प्रत्याशी को जीता रहा था तो कोई हाथ से हाथ मारकर किसी की जमानत जब्त कर करता हुआ सुना गया। बातचीत के दौरान सामने आया कि मुकाबला भाजपा और इनेलो के बीच है। दोनों प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर है। तीसरी किसी भी पार्टी का यहां खास असर दिखाई नहीं दिया। भाजपा से घनश्यामदास अरोड़ा भी लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं और इनेलो से पूर्व विधायक दिलबाग सिंह है। गांव में दोनों पार्टियों का मिला-जुला असर है। हालांकि लोकसभा चुनाव में अधिकांश वोट भाजपा की झोली में गई थी। इस बार मतदाता किस प्रत्याशी पर अपनी पसंद की मुहर लगाएंगे, यह 24 अक्टूबर को ही सामने आएगा।

गांव में दो ही दलों का प्रभाव

पूर्व सरपंच प्रवेश कुमार, प्रवीण कुमार, यशपाल, महीपाल और अजमेर सिंह कहते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव खास रहेगा। भाजपा व इनेलो का प्रभाव ज्यादा है। वोटरों के मन में क्या चल रहा है, यह तो नतीजे आने पर पता चलेगा, लेकिन वोट विकास के नाम पर डलेगी। प्रत्याशी के व्यवहार के नाम पर डलेगी। राष्ट्र के हित में वोट जाएगी। ऐसे उम्मीदवार को तवज्जो दी जाएगी जो खुद का नहीं बल्कि क्षेत्र के विकास के बारे में गंभीर हो।

वीआइपी कल्चर से दूर हो नेता

ग्रामीण अजमेर, सुनील कुमार, जसवंत, राम नाथ व राजकुमार कहते हैं कि जनता यह बात दिमाग में रखकर अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है कि पांच साल तक उनकी बात सुनीं जाएगी। नेता उनका दुख-दर्द बांटेगा। ऐसे प्रत्याशी का चुनाव किया जाना चाहिए जो वीआइपी कल्चर से दूर रहकर जनता के बीच रहे। ऐसा नहीं होना चाहिए कि केवल चुनाव के दिनों में क्षेत्र में दिखाई दे। राजनीतिक दल कोई भी हो, बस प्रत्याशी काम करने वाला होना चाहिए। जनता चाहती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, रोजगार व शहर के विकास पर पूरा फोकस हो। आपराधिक गतिविधियों पर पूरी तरह अंकुश लगे।

भाजपा-इनेलो में टक्कर

ग्रामीण प्रवेश कुमार व रामनाथ का कहना है कि चुनावी जंग में कौन बाजी मारेगा, यह कहना तो मुश्किल होगा, लेकिन दोनों दलों में कड़ा मुकाबला है। मतदाताओं पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिए प्रत्याशी भी एडी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं। टक्कर तो भाजपा व इनेलो के बीच ही रहेगी। कांग्रेसी भी जोर लगा रहे हैं। 24 अक्टूबर को जनता का निर्णय सामने आ जाएगा। हम चाहते हैं कि स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों को गंभीरता से लेने वाली सरकार बने। राष्ट्रीय सुरक्षा व आर्थिक मजबूती भी जरूरी है।

गांव के बारे में जानिए

पुराना सहारनपुर रोड से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर बसे नयागांव की आबादी करीब 1250 है। यहां करीब 800 मतदाता है। गांव में पांचवीं कक्षा तक का स्कूल है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ग्रामीण नजदीक के गांव साबापुर के स्वास्थ्य केंद्र या जगाधरी के अस्पताल पर निर्भर हैं। किसी राजनीतिक दल का कोई बड़ा नेता इस गांव से नहीं है। लोकसभा चुनाव में यहां 800 में कुल 625 वोट पड़े। इस बार ग्रामीण बढ़ोतरी की बात कह रहे हैं।


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