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स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद हालात में फिर बिगड़े सफाई के हालात, नगर निगम अधिकारियों को नहीं परवाह

सफाई और कचरा उठान को लेकर ट्विन सिटी में एक बार फिर हालात खराब हो गए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान अधिकारी और कर्मचारी हरकत में दिखाई दिए लेकिन सर्वेक्षण निपट जाने के बाद व्यवस्था पुराने ढर्रे पर आ गई है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में जगह न होने के कारण ट्विन सिटी से कचरे का उठान नियमित रूप से नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:30 AM (IST)
स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद हालात में फिर बिगड़े सफाई के हालात, नगर निगम अधिकारियों को नहीं परवाह
स्वच्छ सर्वेक्षण के बाद हालात में फिर बिगड़े सफाई के हालात, नगर निगम अधिकारियों को नहीं परवाह

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : सफाई और कचरा उठान को लेकर ट्विन सिटी में एक बार फिर हालात खराब हो गए हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान अधिकारी और कर्मचारी हरकत में दिखाई दिए, लेकिन सर्वेक्षण निपट जाने के बाद व्यवस्था पुराने ढर्रे पर आ गई है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में जगह न होने के कारण ट्विन सिटी से कचरे का उठान नियमित रूप से नहीं हो रहा है। कई जगह ढेर लगे हुए हैं। पॉश एरिया से भी कचरा नहीं उठ रहा है। नगर निगम में शामिल गांव व आउटर की कॉलोनियों में तो हालात और भी खराब हैं। उधर, सफाई का नया प्लान अभी सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। प्लान को अब तक सरकार से मंजूरी नहीं मिल पाई है।

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यहां लगे ढेर

भगत सिंह पार्क, तेजली खेल परिसर के पास, तेजली गांव, शादीपुर के सरकारी स्कूल के सामने, छोटी लाइन, जगाधरी रेलवे स्टेशन रोड, हमीदा सहित अन्य कई स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि कई दिन कर्मचारी कचरा उठाने के लिए नहीं आते। दुर्गंध के मारे बुरा हाल है।

हर दिन निकलता 250 टन कचरा

यमुनानगर-जगाधरी से हर दिन 250 टन कचरा निकल रहा है। चार वर्ष से कचरा निस्तारण प्लांट बंद होने के कारण सड़क किनारे कचरा डाला जा रहा है। कैल गांव में कचरे के पहाड़ बन चुके हैं। जगाधरी के मिल्ट्री ग्राउंड में भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं। शहर से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए सरकार ने वर्ष-2012 में 18.74 करोड़ रुपये से यह प्लांट लगाया था। यह इन दिनों बंद पड़ा हुआ है। कचरा प्रबंधन के लिए नगर निगम ने सफाई का नया प्लान तो बनाया, लेकिन अभी फाइलों तक ही सीमित हैं।

इन वार्डो में कंपनी को टेंडर

वार्ड 13, 14 और 15 में सफाई के लिए कंपनी को टेंडर दिया हुआ है, हालांकि डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए छोटे वाहन लगे हुए हैं, लेकिन नियमित रूप से कचरा नहीं उठ रहा है। कंपनी प्रति घर और दुकान से कचरा उठाने की एवज में चार्जेज लेती है। अन्य 17 वार्डो में नगर निगम के कर्मचारी सफाई कर रहे हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियों के माध्यम से कचरा उठाया जाता है।

वार्ड 20 में सफाई व्यवस्था बुरा हाल है। नियमित रूप से कचरे का उठान नहीं हो पा रहा है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। नालों की सफाई भी नियमित रूप से नहीं हो पा रही है। अधिकारियों को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन स्थिति ज्यों कि त्यों है।

रेखा राणा, पार्षद वार्ड-20 मेरे वार्ड में तो काफी समय से सफाई व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। कभी-कभार ही कर्मचारी दिखाई देते हैं। कचरा उठाने के लिए टिप्पर भी पर्याप्त नहीं है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता पर जोर दे रहे हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी संजीदा नहीं है।

ऊषा रानी, पार्षद, वार्ड 19 वार्ड में करीब 20 हजार की आबादी है। कचरा उठाने के लिए केवल तीन टिप्पर हैं। जो टिप्पर खराब हो जाता है, उसकी सुध नहीं ली जाती। वार्ड में 21 सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी है। मौके पर 10-12 ही दिखाई देते हैं। वार्ड में सफाई व्यवस्था भी दुरुस्त की जानी चाहिए।

सविता कांबोज, पार्षद, वार्ड-22 शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किए हुए हैं। सफाई का नया प्लान अभी प्रोसेस में है। उम्मीद है जल्दी की मंजूरी मिल जाएगी। उसके बाद किसी तरह की दिक्कत नहीं रहेगी।

मदन चौहान, मेयर, नगर निगम।


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