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गोबर व गोमूत्र की सहायता से जैविक खेती अपनाएं किसान : ¨सह

चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र दामला की ओर से बकाना गांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी ¨सह ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए किसानों को पराली व गोबर का सदुपयोग करने को कहा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 01:07 AM (IST)Updated: Mon, 24 Dec 2018 01:07 AM (IST)
गोबर व गोमूत्र की सहायता से जैविक खेती अपनाएं किसान : ¨सह
गोबर व गोमूत्र की सहायता से जैविक खेती अपनाएं किसान : ¨सह

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र दामला की ओर से बकाना गांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी ¨सह ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत करते हुए किसानों को पराली व गोबर का सदुपयोग करने को कहा।

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उन्होंने कहा कि फसल अवशेष व पराली को आग लगाने से वातावरण दूषित होता है व जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है।

प्रोफेसर केपी ¨सह ने किसानों को बदलते जलवायु परिवेश में प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वे उत्पादन लागत को कम करें। केंद्र सरकार की ओर से स्वामीनाथन रिपोर्ट किसानों के हित में लागू की जा रही है। उन्होंने खेती को लाभकारी बनाने के लिए नाबार्ड की मदद से किसान उत्पादक संगठन बनाकर अच्छे उत्पाद की मार्के¨टग की सलाह दी। भविष्य में पराली से बिजली पैदा करने वाले प्लांट लगाए जाएंगे, ताकि पराली को न जलाकर उसका सदुपयोग हो सके। उन्होंने गोबर व गोमूत्र की सहायता से जैविक खेती करने की सलाह भी दी।

उन्होंने नवयुवकों को खेती से जोड़ने के लिए कृषि उदमशीलता योजना से जुड़ने की अपील की। उन्होंने हैप्पी सीडर से गन्ने की पत्ती में गेहूं की बिजाई के प्रदर्शनों का गांव दोहली में दौरा किया और प्रगतिशील किसान सुरेश कांबोज के प्रयासों की सराहना की।

चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुल सचिव डॉ. बलदेव कांबोज ने किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए नई मशीनरी हैप्पी सीडर, मल्चर, चोपर का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। किसान मेले में नाबार्ड के मैनेजर, कृषि विभाग के एसडीओ, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. समर ¨सह व कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अलावा 800 किसानों ने भाग लिया।


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