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सिचाई विभाग और नगर निगम के बीच फंसी यमुना की शुद्धता, 22 नालों को रोकने की योजना लटकी

एनजीटी के हस्तक्षेप के बावजूद नगर निगम के 22 नालों को पश्चिमी यमुना नहर में गिरने से नहीं रोका जा सका है। कारण अफसरों की ढील है। सिचाई विभाग से एनओसी न मिलने के कारण योजना लटक गई है। योजना पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यमुनानगर-जगाधरी के अलावा कई गांवों से भी नाले पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 06:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 06:35 AM (IST)
सिचाई विभाग और नगर निगम के बीच फंसी यमुना की शुद्धता, 22 नालों को रोकने की योजना लटकी
सिचाई विभाग और नगर निगम के बीच फंसी यमुना की शुद्धता, 22 नालों को रोकने की योजना लटकी

संजीव कांबोज, यमुनानगर

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एनजीटी के हस्तक्षेप के बावजूद नगर निगम के 22 नालों को पश्चिमी यमुना नहर में गिरने से नहीं रोका जा सका है। कारण अफसरों की ढील है। सिचाई विभाग से एनओसी न मिलने के कारण योजना लटक गई है। योजना पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यमुनानगर-जगाधरी के अलावा कई गांवों से भी नाले पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं। नवंबर, 2016 में सीएम मनोहर लाल भी इन नालों को एसटीपी में डालने के आदेश दे चुके हैं। मार्च में एनजीटी भी इस संदर्भ में नगर निगम, निगम सिचाई विभाग और जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देश जारी कर चुकी है।

जो नाले पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं, उनके बहाव को मोड़ने के लिए पाइप लाइन बिछाई जाएगी। यह लाइन पश्चिमी यमुना नहर की पटरी के साथ बिछाई जानी है। इसके नगर निगम को सिचाई विभाग से एनओसी लेनी है। हालांकि एक बार नगर निगम ने काम शुरू कर दिया था, लेकिन सिचाई विभाग के अधिकारियों ने आपत्ति जताई। इसको पटरी के लिए खतरा करार देते हुए काम रुकवा दिया था। उसके बाद निगम अधिकारियों ने एनओसी के लिए अप्लाई किया।

यहां लगे एसटीपी

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तीर्थनगर में लगाया है, जिसकी क्षमता 10 एमएलडी है और दूसरा कैंप में जिसकी क्षमता 25 एमएलडी है। अब रादौर रोड पर 20.49 करोड़ से 25 एमएलडी और बाड़ी माजरा में 20.49 करोड़ रुपये से 24 एमएलडी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है।

यहां से गिर रहे नाले

दादूपुर, किशनपुरा माजरा, खारवन, फतेहगढ़, बूड़िया, दयालगढ़, अमादलपुर, नया गांव, परवालो, दड़वा माजरी, आजाद नगर, मुंडा माजरा, खालसा कॉलेज, हमीदा, एसटीपी यमुनानगर, तीर्थ नगर, गांव कांजनु, रादौर, पताशगढ़, दशमेश कॉलोनी, यमुना गली और पुराना हमीदा से नाले सीधे पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं।

इसलिए एनजीटी सख्त

यमुना नहर में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों का जीवन संकट में है। लोगों की आस्था भी आहत होती है। इसे अलावा दूषित दूषित पानी सिर्फ नहर के पानी को ही प्रदूषित नहीं कर रहा है, इससे भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। केमिकल युक्त दूषित पानी से टाइफाइड, डायरिया जैसे जल जनित बीमारी हो जाती हैं। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है। सिचाई विभाग से एनओसी लेने के लिए अप्लाई किया हुआ है। एनओसी मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा। हमारा प्रयास है कि जल्द सभी नालों को एसटीपी में डाइवर्ट कर दिया जाए।

महीपाल सिंह, एसई, नगर निगम।


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