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84 आसन और 16 प्राणायाम का जोड़, 78 वर्षीय शिवलाल करते योग

जिस उम्र में लोग घर पर आराम फरमाते हैं। उस उम्र में मॉडल कॉलोनी निवासी 78 वर्षीय शिवलाल खुद भी योग करते हैं और दूसरों को भी योग सीखा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 08:33 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 08:33 AM (IST)
84 आसन और 16 प्राणायाम का जोड़, 78 वर्षीय शिवलाल करते योग
84 आसन और 16 प्राणायाम का जोड़, 78 वर्षीय शिवलाल करते योग

नितिन शर्मा, यमुनानगर:

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जिस उम्र में लोग घर पर आराम फरमाते हैं। उस उम्र में मॉडल कॉलोनी निवासी 78 वर्षीय शिवलाल खुद भी योग करते हैं और दूसरों को भी योग सीखा रहे हैं। 84 आसन और 16 प्राणायाम के जानकार हैं। वर्ष 1982 से नियमित योग कर रहे हैं। सेंट्रल बैंक से स्पेशल असिस्टेंट के पद से रिटायर हुए। योग से अपने कई रोग दूर करने के बाद दो हजार से ज्यादा लोगों को योग शिक्षा दे चुके हैं। दौड़ में कभी उम्र को हावी नहीं होने दिया। इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर 12 से ज्यादा गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुके हैं।

शिवलाल बताते हैं कि युवा अवस्था में उनको किडनी में दिक्कत आ गई थी। वे दवा लेने चिकित्सक के पास गए। उनको बड़े अस्पताल में इलाज कराने के लिए कह दिया गया। वह एक बार गए जरूर। वहां से लौटने पर कलेसर मंदिर के स्वामी देवी दयाल के संपर्क में आए। वे उनसे शुरू से ही प्रभावित थे। उनसे योग सीखा। शुरुआती समय में काफी समय योग सीखने में लगा। उनको जिद भी थी कि सीखकर रहेंगे। जैसे वे इस दिशा में आगे बढ़ते गए। आत्म विश्वास मजबूत होता रहा। उनकी बीमारी भी दूर हो गई। आज भी योग से स्वस्थ हैं। दवाई से दूरी बनाकर रखते हैं। यही सलाह वे दूसरों को भी देते हैं। दवा नहीं योग अपनाने से कई बीमारी दूर हो जाएगी। वर्ष 2003 में हरिद्वार गए तो वहां योग गुरु रामदेव से मुलाकात हुई। योग की कुछ बारीकी वहां भी सीखी। कुछ समय बीता लौट आए। उनको कई योग प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिला। उन्होंने गोल्ड मेडल जीते। आज भी दौड़ लगाते हैं तो हांफते नहीं

शिव लाल योग के साथ दौड़ में भी रुचि रखते हैं। एमएलएन कॉलेज में हुई 400, 200 मीटर की दौड़ में दौड़ने का मौका मिला। यहां प्रतिद्वंद्वी को पीछे छोड़ते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। उन्होंने कई गोल्ड मेडल जीते हुए हैं। उनकी जीत पर तत्कालीन प्रिसिपल डॉ. शैलेश कपूर ने उनकी प्रशंसा की थी। युवाओं को आपसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। इस आयु में दौड़ना तो दूर लोग सही से चल भी नहीं पाते और वे तो दौड़ लगाते हैं। आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। सुबह चार बजे छोड़ देते हैं बिस्तर

सुबह चार बजे उठ जाते हैं। इसके लिए अलार्म का प्रयोग नहीं करते। एक घंटे का समय खुद के लिए निकालते हैं। योग पहले खुद करते हैं। बाद में दूसरे लोगों को सिखाने के लिए निकल जाते हैं। भोजन में परहेज रखते हैं। वजन सही रहे इसके लिए केला और दूध का सेवन करते हैं। नशे से दूर रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का इंतजार नहीं करते। रोज ऐसे ही योग करते हैं। अब तक दो हजार लोग उनसे योग सीख चुके हैं। ये क्रम निरंतर जारी है।

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