Move to Jagran APP

नकारात्मक सोच को हटाकर जीती कैंसर से जंग

जिदगी जिदादिली का नाम है और इसे ऐसे ही जीना चाहिए। हमेशा आज में जीने के लिए प्रेरित करने वाली राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मुरथल अड्डा की प्राचार्य डा. संतोष राठी कैंसर को मात देकर आज अपने स्कूल छात्राओं व समाज के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गईं हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 10:39 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 10:39 PM (IST)
नकारात्मक सोच को हटाकर जीती कैंसर से जंग
नकारात्मक सोच को हटाकर जीती कैंसर से जंग

संजय निधि, सोनीपत

loksabha election banner

जिदगी जिदादिली का नाम है और इसे ऐसे ही जीना चाहिए। हमेशा आज में जीने के लिए प्रेरित करने वाली राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, मुरथल अड्डा की प्राचार्य डा. संतोष राठी कैंसर को मात देकर आज अपने स्कूल छात्राओं व समाज के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गईं हैं। वह कहती हैं कि बीमारी की वजह से नहीं, नकारात्मकता के कारण लोग ज्यादा परेशान होते हैं। कैंसर से कम, लेकिन इसके भय से ज्यादा लोगों की मौत होती है। मौत से क्या घबराना है, वो तो कल की बात है और कल किसने देखा है। बीते हुए कल की चिता नहीं और आने वाले कल की फिक्र नहीं कर आज जो हमारे पास है, उसे भरपूर जीना चाहिए।

प्राचार्य डा. राठी को अप्रैल 2015 में पता चला कि उन्हें स्तन कैंसर है। वह बताती हैं, इससे पहले कभी बीमार भी नहीं पड़ी थीं। अस्पताल भी नहीं गई थी। पांच अप्रैल को अचानक बांह के पास एक गांठ की नजर आई। शक होने पर पूरा चेकअप कराया तो स्तन कैंसर निकला। यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था। कैंसर का नाम सुनते ही अंदर तक हिल गई थीं। एक बार तो लगा कि सब कुछ समाप्त हो गया, लेकिन परिवार और बड़ी बहन ने काफी प्रोत्साहित किया। इसके बाद उन्हें भी लगा कि यह तो एक बीमारी है और इसे एक बीमारी की ही तरह लेना चाहिए। जिदगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है और मौत अटल सत्य है। फिर इससे भय क्यों और इसके इंतजार में आज को क्यों खराब किया जाए। इस सोच ने अंदर घर कर रहे नकारात्मकता को बाहर निकाल दिया। परिवार ने भी कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि मैं बीमार हूं। सामान्य जीवन जीने लगी। इसी बीच आपरेशन हुआ और अब सब ठीक है। पहले की ही तरह अब स्कूल जाना और पूरी ड्यूटी चालू है। इस बीमारी ने कुछ समय के लिए परेशान जरूर किया, लेकिन जीवन में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया। वह कहती हैं कि कैंसर ही क्यों, किसी भी बीमारी में सकारात्मक सोच और जीने की ललक बहुत जरूरी है। कभी दिमाग से कमजोर नहीं होना चाहिए। कभी बीमारी के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि सोच गहरी होगी तो ज्यादा असर पड़ेगा, डिप्रेशन होगा जो ज्यादा खतरनाक है। इसलिए हमेशा खुश रहें, मस्त रहें, तभी इलाज सफल होगा। यही बात वह अपने स्कूल की स्टाफ और छात्राओं को भी सिखाती हैं। सभी को जीवन के हर परिस्थिति में कुछ नया, कुछ अलग करने के लिए प्रेरित करती हूं। मेरा सौभाग्य है कि मेरी ऊर्जा देखकर लोग प्रेरित होते हैं। उन्होंने स्कूल में भी हमेशा अलग और बेहतर करने का ही प्रयास किया है। यही वजह है कि जिला और प्रदेश स्तर पर भी उनके स्कूल की छात्राएं, नृत्य हो या अन्य गतिविधि, हमेशा अव्वल आती हैं। यही नहीं, वह कैंसर पीड़ितों को काउंसिलिग भी देती हैं। आसपास या किसी जानकार के बारे में पता चलने पर वह स्वयं जाकर उनकी हौसला अफजाई करती हैं, तो कई बार लोग दूर-दूर से भी लोग फोन पर उनसे संपर्क कर कैंसर मरीजों से बात कराते हैं। डा. राठी कहती हैं कि यदि उनके माध्यम से किसी का जीवन संवर जाए तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.