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क्राइम फाइल : डीपी आर्य

कोरोना संक्रमण के चलते भक्त कई महीनों तक घरों में कैद रहे। मंदिरों में भगवान से मिलने के लिए भी केवल पांच-दस को ही अनुमति मिल रही थी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 05:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 05:43 PM (IST)
क्राइम फाइल : डीपी आर्य
क्राइम फाइल : डीपी आर्य

भक्त और भगवान के बीच आई खाकी

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कोरोना संक्रमण के चलते भक्त कई महीनों तक घरों में कैद रहे। मंदिरों में भगवान से मिलने के लिए भी केवल पांच-दस को ही अनुमति मिल रही थी। घंटा बजाना बंद कराया गया और प्रसाद वितरण भी रोक दिया गया। लॉकडाउन खुलने पर लोगों को उम्मीद थी कि शिवरात्रि पर भोले बाबा के खुलकर दर्शन होंगे। अब बाबा और भक्तों के बीच आ गई है खाकी। पहले हरिद्वार से कांवड़ लाने पर रोक लगाई, फिर गंगाजल लाने वालों को भी रोक दिया गया। उसके बावजूद भक्त प्रभुदर्शन की आस लगाए रहे। इसमें भी अफसर आड़े आ गए। आदेश जारी कर दिया कि मंदिर बंद रहेंगे। भक्त परेशान हुए तो बाबा भोलेनाथ की कृपा से रात को आदेश पलट गया। भोले बाबा तक पांच-पांच भक्त ही जाएंगे। बाकी खाकी द्वारा रोके जाएंगे। यानि भक्त और भगवान के दरम्यान रहेंगे खाकी वाले दरबान। पहले खाकी से इजाजत, उसके बाद होंगे प्रभु दर्शन। ये पार्किंग नहीं, थाना है जनाब

पार्किग और थाना, दोनों अलग-अलग होते हैं तो लोग पहचानेंगे क्यों नहीं? लेकिन मुरथल थाने में ऐसा ही है। यहां वाहन इतनी संख्या में खड़े होते हैं कि थाना नजर ही नहीं आता। एक नजर देखने पर किसी को पता ही नहीं लगता कि यहां थाना है या पार्किग। दरअसल यह थाना मुरथल रोड पर है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हादसे होते हैं। यहीं से अवैध खनन के वाहन निकलते हैं। प्रशासन द्वारा पकड़े गए ओवरलोड व अवैध खनन में पकड़े गए वाहन भी यहां पर लाए गए हैं। होटल ज्यादा होने के चलते यहां पर बड़ी संख्या में नशे का धंधा होता है। नशा तस्करों के वाहन भी मुरथल थाने में ही होते हैं। स्थिति यह है कि थाने के अंदर दोनों ओर वाहनों की भरमार है। जानने वाले ही पहचान पाते हैं कि यह थाना है, अन्यथा लोगों को यह वाहन पार्किग का एरिया लगता है।

मुझको ना पता, साहब नाम लिख देवे हैं..

महिला अपराधों के चलते थानों में वूमेन स्टाफ तैनात किया जाता है। इनकी ज्यादातर जांच अधिकारी महिला एसआइ होती हैं। मुरथल थाने की एक एसआइ अजीब हैं। वह सात-आठ मामलों में आइओ हैं। उनके नाम से आरोपित गिरफ्तार होते हैं, न्यायालय में पेशकर रिमांड पर लिए जाते हैं और जेल जाते हैं, लेकिन उनको कुछ पता नहीं होता। जब भी पूछो एक ही उत्तर होता है, मुझको ना पता, साहब मेरा नाम लिख देवे हैं। पता उन्हीं को होवे है। उनसे ही पता कर लो। मैं तो दूसरे जिले में हूं दो दिन से। भला यह भी कोई बात हुई? आइओ हैं तो पता तो होगा ही। उनके हस्ताक्षर के बिना कैसे कार्रवाई होगी। मैडम को यह नहीं पता, खुद चालाकी के चक्कर में पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर रही हैं। ऐसे आइओ से भगवान बचाए। खुद के साथ ही इंस्पेक्टर की फजीहत कराने पर तुली हैं। साहब.. हवालात की क्या बात

खरखौदा शराब घोटाले के बाद से खाकी वाले केस प्रॉपर्टी की शराब की रखवाली को लेकर चितित हैं। ज्यादातर थानों में पकड़ी गई शराब को हवालात में रखवाया गया है। थानों की एक हवालात में तो शराब रखी है, जबकि दूसरी में मुल्जिमों को रखा जाता है। कई बार ज्यादा मुल्जिम होने पर दोनों हवालात में रखते हैं। ऐसे में पहरे पर खड़े सिपाही को हवालात की शराब की रखवाली भी करनी पड़ती है। कई मुल्जिम तो चाहते हैं कि उनको शराब वाली हवालात में ही बंद कर दिया जाए। ज्यादा समस्या तब आती है, जब किसी शराबी को ही नशे के चलते बंद करना पड़ता है। उसका कोई भरोसा नहीं, केस प्रॉपर्टी की शराब को नुकसान पहुंचा दिया तो। ऐसे आरोपितों को पुलिस दूसरी हवालात में रखती है या फिर किसी कमरे में रख लेती है। खाकी को थाने में भी शराब की रखवाली का डर जो लगा है।


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