डीसीआरयूएसटी में भगवान श्रीराम पर होगा तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई-सम्मेलन
डीसीआरयूएसटी व भारतीय शिक्षण मंडल के हरियाणा प्रांत द्वारा रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से 6 से 8 नवंबर तक आयोजित कार्यक्रम में भगवान श्रीराम व सांस्कृतिक एवं साहित्य का परिप्रेक्ष्य विषय पर चर्चा की जाएगी।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) की ओर से भगवान श्रीराम पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ई-सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। डीसीआरयूएसटी व भारतीय शिक्षण मंडल के हरियाणा प्रांत द्वारा रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से 6 से 8 नवंबर तक आयोजित कार्यक्रम में भगवान श्रीराम व सांस्कृतिक एवं साहित्य का परिप्रेक्ष्य विषय पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा ई-सम्मेलन में आठ देशों के प्रतिनिधि शोधपत्र भी प्रस्तुत करेंगे।
ई-सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या के कोषाध्यक्ष गोविद देव गिरि महाराज मुख्य अतिथि रहेंगे। इस सत्र में भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सांगठनिक सचिव मुकुल कानिटकर मुख्य वक्ता होंगे और डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत विशिष्ट अतिथि रहेंगे। समापन सत्र में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य अतिथि रहेंगे और भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद जोशी मुख्य वक्ता रहेंगे। इनके साथ भी कुलपति प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत विशिष्ट अतिथि रहेंगे। ई-सम्मेलन के मुख्य विषय श्रीराम, रामराज्य की संकल्पना होंगे। इनके साथ ही शोध पत्रों के माध्यम से विभिन्न धर्मों, भाषाओं, रीति-रिवाजों और लोक कलाओं में श्रीराम की अभिव्यक्ति, एतिहासिक, राजनैतिक, सामाजिक एवं दार्शनिक संदर्भों व मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, नेपाल, बर्मा और कंबोडिया में श्रीराम की मौजूदगी पर चर्चा की जाएगी। ई-सम्मेलन के आयोजन को सफल बनाने के लिए कुलपति प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत ने कमेटी के सदस्यों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कमेटी में रजिस्ट्रार डा. आरडी कौशिक, प्रो. सुखदीप सिंह, प्रो. पवन दहिया, वित्त नियंत्रक डा. दिनेश सिंह शामिल हैं।
ई-सम्मेलन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इसका उद्देश्य भगवान श्रीराम को भारत के साथ ही विश्व में सभ्यता के जनक के रूप में प्रतिस्थापित करना है। श्रीराम केवल दक्षिण एशियाई सभ्यता का केंद्र नहीं है, बल्कि संपूर्ण दुनिया में उन्हें सर्वाधिक पूजनीय माना जाता है।
- प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत, कुलपति, डीसीआरयूएसटी, मुरथल।