सूर्यग्रहण के चलते घरों में रहे लोग, बाहर निकलने से किया परहेज
सूर्यग्रहण के चलते मंदिरों के कपाट शनिवार रात को सूतक लगने के साथ ही बंद कर दिए गए थे। रविवार सुबह को मंदिरों में पूजा-आरती नहीं की गई।
जागरण संवाददाता, सोनीपत: सूर्यग्रहण के चलते मंदिरों के कपाट शनिवार रात को सूतक लगने के साथ ही बंद कर दिए गए थे। रविवार सुबह को मंदिरों में पूजा-आरती नहीं की गई। ग्रहण के दौरान ज्यादातर लोग घरों में ही रहे। इस दौरान बाजार और सड़क सूने रहे। लोगों ने अपने घरों में टीवी पर सूर्यग्रहण देखा। वहीं हरियाणा विज्ञान मंच ने ग्रहण का लाइव प्रसारण किया। बच्चों को ग्रहण को लेकर भ्रांत धारणाओं को छोड़ने और इसको एक खगोलीय घटना के रूप में लेने को प्रेरित किया।
सूर्यग्रहण को लेकर लोगों में उत्साह था। धार्मिक व्यक्ति जहां इसको लेकर घरों में ही रहे और पूजा-पाठ करते रहे, वहीं युवाओं ने इसको एक खगोलीय घटना के रूप में लिया। हालांकि स्वास्थ्य कारणों से ज्यादातर लोग घरों में ही रहे। माता चिटाने वाली मंदिर के पुरोहित अमित शौनक ने बताया कि शनिवार रात को साढ़े नौ बजे से सूतक लग गया था। उसके साथ ही कपाट बंद कर दिए गए थे। ग्रहण और सूतक के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। श्री नवदुर्गा मंदिर मॉडल टाउन के पुरोहित रामकृष्ण पाठक ने बताया कि दोपहर में सूर्यग्रहण पूर्ण हो जाने के बाद मंदिरों को स्वच्छ किया गया। गंगाजल से शुद्धि के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई।
हरियाणा विज्ञान मंच के प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार वत्स ने बताया कि सूर्यग्रहण का लाइव शारीरिक दूरी का पालन करते हुए दिखाया गया। इसमें एक साधारण से प्रयोग सोलर दर्पण प्रोजेक्टर द्वारा दीवार पर लगे चार्ट पर सूर्य का प्रतिबिब बनाया गया, जहां से इसका सीधा प्रसारण किया गया। सुबह बुंदाबांदी होने व बादल होने से सूर्यग्रहण देखने वाले निराश थे। सुबह 10:15 बजे जब ग्रहण शुरू हुआ तब बादल होने से कोई नहीं देख सका। 11 बजे थोड़े बादल हटने से पहली ग्रहण की झलक मिली, तब तक लगभग आधा ग्रहण हो चुका था। फिर दोपहर 1.30 बजे से ग्रहण को लगातार देखा जा सका।
11:57 पर अधिकतम ग्रहण की स्थिति बनी। ग्रहण की शुरुआत चंद्रमा के पश्चिम से प्रवेश व पूर्व से निकासी के साथ समाप्त हुई। जिसे लोगों ने बड़ी हैरानी व आश्चर्यता के साथ देखा। सूर्यग्रहण किसी स्थान पर होने वाली एक दुर्लभ खगोलीय घटना होती है। हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं व सभी को पता है कि ग्रहण छाया का खेल है। चंद्रमा के पृथ्वी व सूर्य के बीच में आने से चंद्रमा की परछाई जितने भाग पर पडती है वहां सूर्यग्रहण की स्थिति बनती है। फिर भी लोग पुरानी परंपराओं व मिथकों जैसे ग्रहण के दौरान कुछ न खाना, भोजन का खराब होने से बचाने के लिए उनमे दूब ा तुलसी के पत्ते डालना, गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने देना, कोई शुभ काम न करना आदि को छोड़ने को तैयार नहीं। आज भी वे ग्रहणों को अपशकुन ही मानते हैं व विपत्ति व महामारी के लिए ग्रहणों को जिम्मेदार मानते हैं।
इस अवसर पर विज्ञान मंच के सदस्यों द्वारा ग्रहण के दौरान भोजन व अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करके इस मिथक को तोड़ा गया। कार्यक्रम को आयोजित करने में जिला संयोजक केके मलिक, राज्य सचिव कृष्ण वत्स, राज्य सहसचिव अजमेर चौहान का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस अवसर पर सुरेश चौहान, बबीता, आदित्य, सुरेश पन्नू, अनिता शर्मा, योगिता आदि उपस्थित रहे।