आंदोलन स्थल के पास तैनात जवानों के लिए टेंट भी नहीं
कुंडली बार्डर पर आंदोलन स्थल पर तैनात जवानों के लिए रात को ठंड के बचने के पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं। आंदोलन स्थल के आसपास तैनात रहने वाले इन जवानों को रात में ठंड से बचने के लिए टेंट की भी व्यवस्था नहीं है जबकि आंदोलन स्थल के पास बने नाकों पर इनकी 24 घंटे तैनाती रहती है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : कुंडली बार्डर पर आंदोलन स्थल पर तैनात जवानों के लिए रात को ठंड के बचने के पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं। आंदोलन स्थल के आसपास तैनात रहने वाले इन जवानों को रात में ठंड से बचने के लिए टेंट की भी व्यवस्था नहीं है, जबकि आंदोलन स्थल के पास बने नाकों पर इनकी 24 घंटे तैनाती रहती है। दिन तो फिर भी बीत जाता है, लेकिन रात होते ही ठंड बढ़ने के कारण खुले आसमान के नीचे इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ 27 नवंबर से आंदोलनरत किसान कुंडली बार्डर पर जीटी रोड को जाम कर बैठे हैं। हजारों की संख्या में किसानों ने रोड पर ट्रैक्टर-ट्राली और टेंट लगाकर अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है। किसानों ने ठंड से बचने के लिए टेंट और आंदोलन स्थल पर कई तरह के इंतजाम भी कर रखे हैं। छह किलोमीटर के किसानों के पड़ाव के बीच दर्जनों जगह पर लगातार अलाव भी जलते रहते हैं। आंदोलन स्थल पर कानून व्यवस्था बनाए रखने और वाहनों का आवागमन सुचारु रखने के लिए पुलिस के जवानों की भी यहां 24 घंटे ड्यूटी लगी है। केजीपी-केएमपी के जीरो प्वाइंट और प्याऊ मनियारी के पास स्थायी नाका लगा है, जहां 24 घंटे पुलिस की ड्यूटी रहती है। तीन शिफ्टों में तैनात रहने वाले पुलिस के जवानों के लिए केवल केमएपी के पास एक छोटा का टेंट लगा है। इसके अलावा ठंड और बारिश से बचने के लिए यहां कोई इंतजाम नहीं हैं। हालांकि नाका पर तैनात पुलिस के जवानों का कहना है कि वे रूटीन में यहां अपनी ड्यूटी करते हैं, इसलिए खास टेंट आदि की आवश्यकता नहीं है। हालांकि बारिश होने पर थोड़ी परेशानी जरूर हुई थी। दूसरी ओर, जीटी रोड पर आंदोलनरत किसानों ने ठंड से बचने के लिए बड़े-बड़े टेंट लगा रखे हैं और उनके पड़ाव क्षेत्र में रातभर अलाव भी जलती है। ड्यूटी दे रहे पुलिस के जवान भी कई बार रात को ठंड से बचने के लिए इन्हीं अलावों का सहारा लेते हैं।