सड़क पर चलने के लिहाज से दूसरा सबसे खतरनाक जिला है सोनीपत
जागरण संवाददाता सोनीपत जिले में आए दिन होने वाले सड़क हादसे लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहे हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा हो जिस दिन कहीं न कहीं सड़क हादसा न होता हो। सड़क पर हर रोज कही न जान जा रही है चालू वर्ष के शुरुआती दो माह के आंकड़ो पर नजर दौड़ाए तो सड़क पर चलने के लिहाज से सोनीपत दूसरा सबसे खतरनाक जिला है। पहला नंबर गुरुग्राम का है।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : जिले में आए दिन होने वाले सड़क हादसे लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहे हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा हो, जिस दिन कहीं न कहीं सड़क हादसा न होता हो। सड़क पर हर रोज कहीं न कहीं किसी की जान जा रही है। वर्ष के शुरुआती दो माह के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सड़क पर चलने के लिहाज से सोनीपत दूसरा सबसे खतरनाक जिला है। पहला नंबर गुरुग्राम का है, जहां साल के पहले दो महीने में 80 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई है, जबकि 147 सड़क हादसे हुए हैं। वहीं, सोनीपत की सड़कों पर दो माह में 64 लोगों ने दम तोड़ा है, जबकि 65 लोग घायल हुए है। शाम ढलते ही खतरनाक हो जाता है हाईवे का सफर
जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-44 पर कुंडली से गन्नौर तक का 34 किलोमीटर का एरिया लोगों के लिए मौत का हाईवे बन रहा है। शाम ढलते ही हाईवे का सफर खतरनाक हो जाता है। आमतौर पर देखा गया है कि हाईवे पर हुए ज्यादातर हादसे रात के अंधेरे में ही होते है। आंकड़ों की बात करें तो जिले में पिछले सवा चार साल में करीब तीन हजार सड़क हादसों में से करीब 70 फीसद हादसे हाईवे पर ही हुए हैं। कुंडली से गन्नौर के बीच हैं 20 खतरनाक कट अवैध तरीके से बना दिए है। यहां हर माह में 20 से 25 लोग हादसों में जान गंवा देते हैं। मरने वालों में दोपहिया वाहन चालक अधिक
सड़क हादसों में मरने वालों में अधिकतर दोपहिया वाहन चालक होते हैं। पुलिस प्रशासन की तरफ से सड़क हादसों की समीक्षा में ये बात भी सामने आई थी कि अधिकांश हादसों में मौत की वजह मोटरसाइकिल चालकों का हेलमेट नहीं पहनना रहता है। हेलमेट सिर पर हो तो कीमती जिदगी बच सकती है। कई घायल तो आज भी जिदगी व मौत की जंग लड़ रहे हैं तथा कई घायलों को जीवन भर का दर्द मिल चुका है।
औसतन हर साल 350 लोग हो रहे हादसों के शिकार
वर्ष 2015 से अब तक यानी लगभग चार साल में करीब तीन हजार सड़क हादसे हुए हैं। इनमें 1,500 लोग काल का ग्रास बने हैं। यानी प्रतिवर्ष औसतन 700 हादसे हो रहे हैं, जिनमें औसतन 350 से अधिक लोग बेमौत मारे जा रहे हैं। सड़क हादसों की स्थिति
वर्ष ----- हादसे -- मृत्यु --- घायल
2015--- 866 --- 401 --- 703
2016 -- 775 --- 411 --- 535
2017 -- 531 --- 240 --- 375
2018 -- 228 -- 166 ---- 275
2019 -- 110 --- 64 ---- 65
नोट: - 2018 के आंकड़े जुलाई से नवंबर तक व 2019 के आंकड़े जनवरी-फरवरी माह के हैं।
हाईवे पर कई दुर्घटना संभावित क्षेत्र हैं। उन्हें चिह्नित किया गया है। यहां हादसों से बचने के लिए किए एनएचएआइ को पहल करनी चाहिए। इसे लेकर पिछले दिनों उपायुक्त को भी पत्र लिखा गया है। अगर एनएचएआइ सार्थक प्रयास करे तो हादसों को रोका जा सकता है।
रमेश चंद्र, प्रभारी, ट्रैफिक थाना हाईवे।