गांव में ही गेहूं के लिए किसान खोज रहे ग्राहक
गेहूं की बंपर आवक के बीच खरीद एजेंसी एक बार फिर गेहूं उठान में फेल हो रही हैं जिस कारण आवक खरीद व उठान का अंतर बढ़ रहा है। ऐसे में फिर से हालात बिगड़ सकते हैं।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : गेहूं खरीद का आधा सीजन बीत चुका है। बावजूद व्यवस्थाएं नहीं सुधर पाई हैं। अभी भी उठान रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। गेहूं उठान को लेकर जो स्थिति शुरुआत में बनी थी वही चल रही है। मंडी में कभी संबंधित एजेंसियों के अधिकारी-प्रतिनिधि नहीं पहुंचते तो कभी बारदाना नहीं मिल पाने से खरीद रुक जाती है। खरखौदा मंडी सहित कई जगह ऐसी स्थिति है, लेकिन न सरकारी अधिकारी इसको लेकर गंभीर है न एजेंसियों को किसानों की परेशानी से कोई सरोकार।
गेहूं की बंपर आवक के बीच खरीद एजेंसी एक बार फिर गेहूं उठान में फेल हो रही हैं जिस कारण आवक, खरीद व उठान का अंतर बढ़ रहा है। ऐसे में फिर से हालात बिगड़ सकते हैं। पहले भी व्यवस्थाएं बेपटरी होने के कारण दो दिन के लिए गेहूं खरीद बंद करनी पड़ी थी। मंडी बंद होने के बावजूद खरीद एजेंसी गेहूं का उठान नहीं कर पाई हैं। गेहूं की बंपर आवक होने से एक बार फिर से मंडियों व खरीद केंद्रों पर गेहूं खुले में पड़ा है। अकेले सोनीपत अनाज मंडी में ही खरीदे गए डेढ़ लाख गेहूं के कट्टे खुले आसमान के नीचे रखे हैं। वहीं, हजारों मीट्रिक टन गेहूं मंडी में पड़ा है जिसकी खरीद होनी बाकी है। खरीद एजेंसियों की बेरुखी के कारण अन्य किसान गांवों में ही गेहूं बेचने के लिए ग्राहक खोज रहे हैं।
दिक्कत से बचने को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम पर बेच रहे गेहूं :
मंडी में गेहूं खरीद से होने वाली परेशानी से बचने के लिए कई किसान गांव में ही गेहूं बेच रहे हैं। इसके लिए न्यूनतम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम भाव पर कई किसानों ने गेहूं बेचा है। गांव कामी के किसान रविद्र ने बताया कि गेहूं को मंडी में ले जाना खर्चीला है। वहीं, गेहूं जल्द न बिके तो अन्य काम छोड़कर वहीं रहना पड़ा है। ऐसे में मंडी में परेशानी उठाने से अच्छा है यहीं गेहूं बेच दे। रविद्र ने बताया कि उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी 25 रुपये कम यानी 1950 रुपये क्विंटल के भाव से गांव में गेहूं बेचा है। पैसे भले कम मिले हो मगर परेशानियों से बच गए।
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गेहूं खरीद सुचारू रूप से चल रही है जो दिक्कत थी उनको दूर किया जा रहा है। उठान को लेकर भी एजेंसियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। वहीं, उठान से संबंधित रिपोर्ट समय-समय पर उच्च अधिकारियों को भी भेजी जा रही है। लापरवाही पर एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई का भी विकल्प है। किसानों को परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
जितेंद्र सैन, सचिव, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड, सोनीपत