14 वर्ष की उम्र में 110 पदक जीत चुका है बादल
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। यह बात अनाथ आश्रम में रहने वाले बादल पर चरितार्थ होती है जिसने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही विभिन्न क्षेत्रों में जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की स्पर्धाओं में 110 पदक जीते हैं।
जागरण संवाददाता, सोनीपत : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। यह बात अनाथ आश्रम में रहने वाले बादल पर चरितार्थ होती है, जिसने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही विभिन्न क्षेत्रों में जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की स्पर्धाओं में 110 पदक जीते हैं। आइएएस अधिकारी बनने की चाहत रखने वाले बादल की प्रतिभा को जिला बाल संरक्षण तथा बाल संरक्षण अधिकारियों ने गंभीरता से परखा है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. रितु गिल बताती हैं कि मात्र दो वर्ष की आयु के बादल को उसके मामा द्वारा बाल देखभाल केंद्र सपना बाल कुंज गोहाना में छोड़ा गया था। आज बादल की आयु 14 वर्ष की है, लेकिन उसके बाद से अब तक कोई भी व्यक्ति बादल से दोबारा मिलने तक नहीं आया। ऐसे में बादल अनाथ आश्रम में ही रहता है।
बाल संरक्षण अधिकारी (संस्थानिक) ममता शर्मा के अनुसार बादल इस समय ग्लोबल पब्लिक स्कूल गोहाना में आठवीं कक्षा का छात्र है। बादल ने राष्ट्रीय स्तर पर 100 मीटर दौड़ व पेंटिग और स्क्रेबल इवेंट में पदक जीते हैं। इसी प्रकार राज्य स्तर पर वह छह पदक जीत चुका है, जिसमें स्वर्ण पदक भी शामिल हैं। वह अपनी बनाई हुई 50-60 पेंटिग बेच चुका है। बादल ने हाल ही में बाल दिवस स्पर्धा की फोटोग्राफी स्पर्धा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। साथ ही उसने पेंटिग, रंगोली व कलश सजाओ स्पर्धाओं में भी हिस्सा लिया है, जिनका परिणाम अभी नहीं आया है। बादल की पेंटिग तथा आर्ट एंड क्राफ्ट बेहतरीन स्तर की हैं। वह 100 व 200 मीटर दौड़ तथा लंबी कूद व ऊंची कूद और स्क्रेबल स्पर्धाओं में भी दमदार प्रदर्शन करता है। यही नहीं उसे अभिनय का भी शौक है। सपना बाल कुंज की अधीक्षक सोनिया मलिक कहती हैं कि बादल में क्षमता है, जिसे सही दिशा व प्रोत्साहन देने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं, बाल संरक्षण अधिकारी ममता का कहना था कि बादल सजीव चित्रण करता है। बादल की पेंटिग तथा आर्ट एंड क्राफ्ट बोलती हुई प्रतीत होती हैं। अल्पायु में ही वह अपनी रचनाओं में ज्वलंत विषयों को भी उकेरने का सफल प्रयास करता है, जो प्रशंसनीय है।