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Haryana , Baroda Byelection 2020: स्‍थानीय मुद्दों के संग अहम हो गए हैं तीन कृषि कानून

Haryana Baroda Byelection 2020 में स्‍थानीय मुद्दों के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून भी मुद्दा बन रहे हैं। विभिन्‍न दलों के नेता बरोदा के विकास के संग किसानों को साधने के लिए अपने अंदाज में ये मुद्दे उठा रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 09:04 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 09:04 AM (IST)
Haryana , Baroda Byelection 2020: स्‍थानीय मुद्दों के संग अहम हो गए हैं तीन कृषि कानून
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल खट्टर। (फाइल फोटो)

बिजेंद्र बंसल, बरोदा (सोनीपत)। Haryana , Baroda Byelection 2020 में क्षेत्र के विकास से लेकर कई स्थानीय मुद्दे भी मतदाताओं सहित चुनावी सभाओं में भाषण देने आ रहे नेताओं की जुबान पर हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों का मुद्दा अहम हो गया है। विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष भी इन कृषि कानूनों को लेकर मतदाताओं से सीधा संवाद कर रहा है।

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जीत के लिए कृषि कानूनों को अपने तरीके से मुद्दा बना रहा है पक्ष व विपक्ष

मतदाता इन कानूनों को लेकर खुलकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। पूरी तरह ग्रामीण अंचल की विधानसभा बरोदा में तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान इस तरह बात कर रहे हैं जैसे यह मुद्दा चुनाव में हार जीत का आधार बनेगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक चुनावी सभा में इन तीन कानूनों को लेकर अपना मत स्पष्ट किया। उन्‍होंने कहा कि फसलों की खरीद के लिए एमएसपी (न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य) यदि खत्म करने की कोशिश हुई तो वह राजनीति छोड़ देेंगे। कांग्रेस झूठ की राजनीति कर रही है। फसल का एमएसपी भी रहेगा और मंडी भी बंद नहीं होगी। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए ये तीनों कृषि कानून सहायक होंगे।

मुख्यमंत्री की सभा में बरोदा हल्के से आए किसान मुख्त्यार को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल सार्वजनिक रूप से जब यह कह रहे हैं कि एमएसपी बरकरार रहेगा तो फिर इतने बड़े नेताओं की बात माननी चाहिए। मुख्त्यार के साथी रामफल, कल्लू माजरा भी सहमति जताते हैं कि इनको लेकर सिर्फ राजनीति हो रही है। कृषि कानून बनने के बाद भी सरकार एमएसपी पर खरीद कर रही है। फिर कोई सरकार किसान हित के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं कर सकती।

कृषि कानूनों पर मुख्त्यार  और उसके दो साथियों के तर्काें से सिकंदरपुरमाजरा और बली ब्राह्मण से आए देबू चौधरी और लज्जाराम सहमत नहीं हैं। दोनों एक स्वर में बोले फिर यो खट्टर (सीएम) लिखकर क्यों नहीं दे देनदा (यह बात खट्टर लिखकर क्‍यों नहीं देते)। चर्चा अभी जोर पकड़ रही थी कि मुख्यमंत्री की सभा से बाहर आ रहे हरी पीली पगड़ी वाले तीन चौधरियों के अपने पास रुकने से सबके मुंह पर ताला लग गया है।

खैर, चौधरियों से राम-राम होने के बाद मुख्त्यार के साथ खड़े सभी लोगों ने एक ही स्वर में कहा वोट थ्हारे को देवेंगे, फिक्र न करयो। पगड़ी वाले चौधरियों के जाने के बाद तीन कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर चर्चा तब गर्म हुई जब मुख्त्यार ने  सिकंदरपुर माजरा और बली ब्राह्मण से आए किसानों से यह पूछ लिया कि तीन कानून कौन से हैं।

दोनों गांवों के इन किसानों सहित बरोदा गांव के कुछ युवाओं ने इस सवाल पर सिर्फ इतना कहाकि इसके बारे में  तो सारे कांग्रेसी बता रहे हैं। वाद विवाद में इन किसानों में एक बात पर तो सहमति थी कि कोई सरकार किसान अहित के कानून नहीं बना सकती। किसान कल्लू माजरा ने आखिर में चर्चा  यह कहते हुए खत्म की कि जब सरकार का म्हारे( किसान) खिलाफ सोचने का ब्योंत बनेगा, तब की तब सोच लेंगे अभी तो कुछ भी किसान के खिलाफ नहीं है।

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