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स्वरोजगारः मुफ्त में प्रशिक्षण लेकर युवाओं ने लगा ली खुद की फैक्ट्री; दो करोड़ का है सालाना टर्नओवर

निफ्टेम से चंद दिनों का मुफ्त प्रशिक्षण और सहयोग से गांव के युवा न केवल खुद उद्यम कर रहे हैं बल्कि अपने साथ कई युवाओं को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। कुछ युवा मसाले बेकरी लड्डू रोस्टेड भूजिया आदि की फैक्ट्री लगाकर अपनी नई पहचान बनाई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 04:34 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 04:57 PM (IST)
स्‍वरोजगार की राह पर बढ़े युवा, औरों को भी बढ़ाया

सोनीपत [संजय निधि]। यदि सही राह और संसाधन मिल जाए तो युवा सफलता की नई इबारत लिख सकते हैं। राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम), कुंडली ने इसी तरह कुछ युवाओं को राह दिखाई और वे खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में मिसाल पेश कर रहे हैं। निफ्टेम से चंद दिनों का मुफ्त प्रशिक्षण और सहयोग से गांव के युवा न केवल खुद उद्यम कर रहे हैं, बल्कि अपने साथ कई युवाओं को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। चंद दिनों में कुछ युवा मसाले, बेकरी, लड्डू, रोस्टेड भूजिया आदि की फैक्ट्री लगाकर अपनी नई पहचान बनाई है।

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खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य तकनीकी के क्षेत्र में डिग्री, मास्टर डिग्री और पीएचडी कराने वाला संस्थान निफ्टेम युवाओं को इंटरप्रेन्योर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसी में शामिल मसाला कारोबारी हरचंदपुर के प्रदीप यादव। प्रदीप बताते हैं कि निफ्टेम ने गांव में पांच दिन की ट्रेनिंग दी। संस्थान के प्राध्यापक डा. नीरज, स्किल डेवलपमेंट के पुष्कर दत्त आदि ने तकनीक व क्वालिटी मेंटेंन करने के साथ-साथ मार्केटिंग, लाइसेंसिंग और बैंक से वित्तीय मदद दिलाई।

शुरुआत में ढाबों पर मसाला सप्लाई का काम शुरू किया, लेकिन पैकेजिंग व मार्केटिंग में मदद मिलने के बाद कारोबार बड़ा हुआ और अब क्रीनी मसाले के नाम से उनका अपना ब्रांड है। ओपन मार्केट के अलावा विशाल मेगा मार्ट, अमेजन, फ्लिपकार्ट में भी उनके मसाले बिकते हैं और फिलहाल उनका सालाना टर्नओवर करीब दो करोड़ रुपये का है।

एक दिन खाना खिलाया और बन गई इंटरप्रेन्योर

निफ्टेम की ओर से गांव ताजनगर में प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था। गांव की महिला पूनम शर्मा ने बताया कि उनका खाना होटल से आता था, जो उन्हें पसंद नहीं था। पूनम ने बताया कि दूसरे दिन उन्होंने सभी को खाना खिलाया और वह उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने फिर पूरी ट्रेनिंग के दौरान खाने का ठेका ही दे दिया। उनके हुनर को देखकर ही निफ्टेम के प्राध्यापकों ने उन्हें अनाज के लड्डू, रोस्टेड भूजिया व हेल्दी फूड बनाने और हाइजीनिक तरीके से पैकिंग की ट्रेनिंग दी।वित्तीय मदद भी दिलाई।

शुरुआत घर में ही रोस्टेड भूजिया व इस तरह से रिफ्रेशमेंट से की और धीरे-धीरे गुड़-चने के लड्डू, तिल, अलसी, चिया सीड, गोंद, बाजारा आदि के लड्डू भी बनाने लगी। हेल्दी होने के कारण इसकी डिमांड बढ़ती गई और फिर न्यूर्टीस्माइल फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई। इसमें करीब 25 महिलाएं काम करती हैं और कंपनी का सालाना टर्नओवर 25-30 लाख के करीब है।

22 राज्यों के 90 गांव को गोद ले चुका है निफ्टेम

निफ्टेम के स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के हेड पुष्पकर दत्त ने बताया कि वर्ष 2012 में शुरू होने के बाद अब तक संस्थान देश के 22 राज्यों के 90 गांवों को गोद ले चुका है। पिछले दो वर्षों से कोरोना की वजह से ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं हो पाए हैं। इन गांवों में निफ्टेम की ओर से फूड प्रोसेसिंग को लेकर प्रशिक्षण देने के अलावा भावी इंटरप्रेन्योर काे निफ्टेम का दौरान भी कराया जाता है।

एक्सपर्ट लेक्चर के अलावा वित्तीय जानकारी, मार्केेट लिंकेज, बैंक व जिला उद्योग केंद्र के तालमले से उन्हें व्यवसाय शुरू कराने में मदद भी की जाती है। अब तक करीब 17-18 इंटरप्रेन्योर तैयार भी चुके हैं, जो अपने क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। यही नहीं, संस्थान में खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य तकनीक को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की मशीनें भी इजाद की हैं। संस्थान की ऐसी ही उपलब्धियों को लेकर केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया है।


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