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Farmer Protest: किसान आंदोलन के कारण 10 साल पीछे चला गया सोनीपत जिला

Haryana Kisan Andolan रविवार को सेरसा गांव में हुई महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि आंदोलनकारियों ने क्षेत्र को पूरी तरह से बंधक बना लिया है। इससे क्षेत्र का विकास तो अवरुद्ध हो ही गया है जिला 10 साल पीछे भी चला गया है। उद्योगों का पलायन तक शुरू है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 08:40 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 08:40 AM (IST)
Farmer Protest: किसान आंदोलन के कारण 10 साल पीछे चला गया सोनीपत जिला
Farmer Protest: किसान आंदोलन के कारण 10 साल पीछे चला गया सोनीपत जिला

नई दिल्ली/सोनीपत [संजय निधि]। कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के कारण करीब सात माह से जीटी रोड बंद है। आंदोलनकारी बार-बार आसपास के गांवों के रास्ते भी बैरिकेड लगाकर बंद कर देते हैं। गांव रास्तों को लेकर ग्रामीण पर आंदोलनकारी द्वारा हमले भी किए जाते हैं। इन्हीं के विरोध में रविवार को सेरसा गांव में हुई महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि आंदोलनकारियों ने क्षेत्र को पूरी तरह से बंधक बना लिया है। इसके कारण क्षेत्र का पूरा विकास तो अवरुद्ध हो ही गया है, जिला 10 साल पीछे भी चला गया है। उद्योगों का पलायन तक शुरू हो चुका है।

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महापंचायत को संबोधित करते हुए कुंडली के अशोक खत्री ने कहा कि इस आंदोलन के कारण क्षेत्र बर्बाद हो रहे हैं। हमारे काम-धंधे ठप हो गए हैं। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि किसानों के मुद्दे को लेकर शुरू हुए आंदोलन को उन्होंने भी पूरा समर्थन दिय था। आंदोलनकारियों को महीनों तक पानी दिया, लेकिन एक दिन आवागमन को लेकर उनके बेटे के साथ ही मारपीट की गई। बेटे को तलवार से मारने के लिए उनके पीछे भागे थे। तब उन्होंने पानी बंद किया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोग ठंडे जरूर हैं, लेकिन डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि या तो प्रशासन रास्ता खाली करवा दे, नहीं तो हम अपने तरीके से रास्ता खुलवाएंगे।

दिल्ली से आए अनूप सिंह ने कहा कि 29 जनवरी को भी सिंघु और आसपास के गांव के लोगों ने इस मुद्दे पर बैठक की थी। पुलिस-प्रशासन से भी मुलाकात की थी, लेकिन पुलिस कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। चरण सिंह ने कहा कि सात महीने पहले जब पंजाब के भाई अपनी समस्या को लेकर यहां आए थे, तो हमने उनका पूरा सहयोग किया, लेकिन हमारी सारी कनेक्टिविटी दिल्ली से है, जो बंद है। हमने इसे खुलवाने के लिए कई बार छोटी-छोटी मीटिंग की है। संयुक्त मोर्चा और प्रशासन को भी इससे अवगत कराया है, लेकिन कहीं हमारी सुनवाई नहीं की गई। इसके कारण हमारी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है।

अटेरना के ताहर सिंह चौहान ने कहा कि दयनीय होती हालत पर सरकार भी आंख बंद किए बैठी है। यदि एक सप्ताह के अंदर हल नहीं निकलता है तो फिर उन्हें भी उग्र आंदोलन शुरू करना होगा। क्योंकि प्रशासन व सरकार भी बहरी और गूंगी हो गई है। ग्रामीणों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। इसलिए वे लोग अब शहीद होने को भी तैयार हैं। इसलिए वे प्रशासन, सरकार और संयुक्त मोर्चा से भी निवेदन कर रहे हैं कि रास्ता खोलें, अन्यथा यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है।

दिल्ली से जुड़ी है हमारी रोजी-रोटी

राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच के सदस्य रामफल सरोहा ने कहा कि हमें एक तरफ का रास्ता चाहिए। हमलोग आंदोलनकारी या किसी राजनीतिक पार्टियों के विरोधी या समर्थन नहीं हैं। हम केंद्र सरकार, राज्य सरकार व संयुक्त किसान मोर्चा को संदेश देना चाहते हैं कि हमें रास्ता चाहिए। रास्ता बंद होने के कारण हमारी स्थिति दयनीय होती जा रही है। स्थानीय किसानों सहित सभी वर्ग लगातार नुकसान ङोल रहे हैं। क्षेत्र की रोजी-रोटी पूरी तरह से दिल्ली से जुड़ी और वहीं जाने का रास्ता बंद है। इससे यहां के उद्योग-व्यापार सहित किसानी और छात्रों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही है।

रास्ता बंद होने से फैक्ट्रियों में काम बंद

बॉर्डर के आसपास छोटे-मोटे व्यापार करने वाले तो तबाह हो गए हैं। पहले क्षेत्र में हजारों की संख्या में रोजाना लोगों का आवागमन होता था, बाहर से लोग आकर यहां रहते भी थे, लेकिन रास्ता बंद होने के कारण फैक्टियों में काम बंद हो गया है। वहां काम करने वाले आधे से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं। कुछ फैक्टियां तो यहां से पलायन भी कर गई है। लोगों का आवागमन रुक गया है, जिससे क्षेत्र में होने वाला छोटा-मोटा व्यापार पूरी तरह से तबाह हो गया है।


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