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Progressive Farmer: खेती के आधुनिक तौर-तरीकों से बदली धरती पुत्रों की किस्मत

Progressive Farmer हरियाणा के सोनीपत जिले के मनौली गांव में अफगानिस्तान से आए किसानों व वैज्ञानिकों को पालीहाउस में शिमला मिर्च की खेती के बारे में कृषि के आधुनिक तौर-तरीकों से जानकारी देते किसान दिनेश चौहान (बैठे हुए) जागरण।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 01:16 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 01:16 PM (IST)
Progressive Farmer: खेती के आधुनिक तौर-तरीकों से बदली धरती पुत्रों की किस्मत
बेहतर सुधार के लिए मनौली के किसानों का मार्गदर्शन करते हैं।

संजय निधि, सोनीपत। दो दशक पहले तक एक ड्रम डीजल के लिए आढ़ती के भरोसे रहने वाला सोनीपत जिले का मनौली गांव आज आधुनिक खेती और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गया है। यहां के किसानों को सब्जी लेकर मंडी नहीं जाना पड़ता, बल्कि मदर डेयरी से लेकर रिलायंस और ग्रोफर्स सरीखी कंपनियां खुद गांव में पहुंचती हैं। 300 घरों वाले इस गांव में आज तकरीबन 200 किसान आधुनिक तकनीक से खेती कर रहे हैं। लगभग हर किसान स्वीट कार्न उपजाता है।

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बदलाव की यह शुरुआत विकासशील किसान दिनेश चौहान के प्रयास से हुई। कला से स्नातक दिनेश चौहान का शुरू से मानना रहा कि खेती के तौर-तरीके में बदलाव जरूरी है। वह नई तकनीक और नई फसल के बारे में पत्र-पत्रिकाओं से जानकारी एकत्र करते थे। दिनेश बताते हैं कि 1998 में पता चला कि मेरठ स्थित कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर स्ट्राबेरी की खेती करते हैं। उनसे जानकारी लेकर स्ट्राबेरी की खेती की। उस वक्त परंपरागत धान-गेहूं की खेती करने वाले किसानों ने इसका मखौल भी बनाया, लेकिन परवाह नहीं की। ऋण लेकर डिप सिंचाई पद्धति लगवाई। पहले साल केवल खर्च ही निकल पाया, परंतु हार नहीं मानी। अगले वर्ष अच्छी आमदनी हुई तो गांव के ही एक-दो लोग उनके पास आकर खेती की जानकारी लेने लगे। उन लोगों को स्वीट कार्न के बारे में बताया और उसकी खेती शुरू की। जैसे-जैसे तकनीक की बारीकी समझते गए, आमदनी बढ़ती गई।

देश-विदेश से पहुंचते हैं विज्ञानी और किसान : कृषि के आधुनिक तौर-तरीकों से इस गांव की ख्याति दूर-दूर तक फैली। अब इजरायल, अफगानिस्तान, नेपाल, अमेरिका, हालैंड, पोलैंड व जर्मनी के किसान व विज्ञानी भी इसे देखने-समझने पहुंचते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के विज्ञानी भी देशभर के किसानों को उन्नत और आधुनिक तकनीक से खेती दिखाने के लिए यहां लेकर आते हैं। गांव के खेतों में लगे आधुनिक पालीहाउस, डिप सिंचाई पद्धति और नई-नई किस्मों की सब्जियां किसानों को आकर्षति करती हैं।

बागवानी विभाग ने की मदद : दिनेश चौहान के मुताबिक गांव के किसानों की मेहनत व इच्छाशक्ति को देखकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों ने दिलचस्पी दिखाई और हम उनसे जुड़ गए। फिर डिप सिंचाई की मदद से शिमला मिर्च की खेती शुरू की। इसमें बागवानी विभाग ने भी सहयोग किया और गांव में पालीहाउस लगवाए, जिसमें सब्जी की खेती होने लगी। पूसा के कृषि विज्ञानियों और बागवानी विभाग के सहयोग से पालीहाउस में रंगीन शिमला मिर्च, बगैर बीज वाला खीरा, टमाटर, स्ट्राबेरी के अलावा जलैपिनोज, पार्सले जैसी हालैंड और इजरायल में होने वाली सब्जियां भी किसान उगाते हैं। दिनेश चौहान ने बताया कि बागवानी विभाग के सहयोग से आज गांव में 50 एकड़ में पालीहाउस लगे हैं, जबकि 10 से 15 एकड़ की फाइल विभाग के पास गई हुई है। यमुना किनारे गांव होने के कारण किसानों को अपनी फसल मंडी तक ले जाने में मशक्कत करनी पड़ती थी, लेकिन अब तमाम बड़ी-बड़ी कंपनियां गांव आकर सब्जी खरीदती हैं और किसानों को घर बैठे अपनी उपज की अच्छी कीमत मिल जाती है।

नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के प्रधान विज्ञानी डा. जेपीएस डबास ने बताया कि मनौली और आसपास के गांवों में पहले केवल गेहूं-धान की खेती होती थी, लेकिन दो दशक पहले विकासशील किसानों ने स्वीट व बेबी कार्न की खेती शुरू की थी। आज यह गांव देशी-विदेशी सब्जियों के अलावा आधुनिक खेती की मिसाल बन गया है। शुरुआत में गांव के किसान हमारे पास सलाह लेने आते थे, अब हम अन्य किसानों को वहां की आधुनिक खेती के तरीके दिखाते हैं। बेहतर सुधार के लिए मनौली के किसानों का मार्गदर्शन करते हैं।

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