लॉकडाउन में क्लास रूम हुआ बंद तो ऑनलाइन निकाली राह, मोबाइल पर लगाई क्लास Sonipat News
रोजाना अपने चैनल पर एक-दो घंटे विद्यार्थियों को उपयोगी टिप्स देने वाले परिमल कुमार बताते हैं कि उनकी मंशा हर जरूरतमंद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार करना है।
सोनीपत [संजय निधि]। जहां चाह, वहां राह, इस लोकोक्ति को चरितार्थ कर रहे हैं शहर के रहने वाले परिमल कुमार। परिमल अपना कोचिंग संस्थान चलाते हैं, लेकिन कोचिंग में सीमित विद्यार्थी ही पहुंच पाते थे, लेकिन उनकी मंशा हर जरूरतमंद छात्रों तक पहुंचना था। इसके लिए उन्होंने यू-ट्यूब पर अपना एक चैनल बनाया और इसके जरिये छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के टिप्स व अन्य जानकारी देनी शुरू की।
इस कोरोना काल में जब सब कुछ बंद हुआ तो अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंचने की उनकी यह मंशा इस विधि से कारगर साबित हुई। लॉकडाउन के समय में उनके चैनल को देखने वाले और इसे सब्सक्राइब करने वालों की संख्या 10 लाख को पार कर गई। यह अपने-आप में बड़ी उपलब्धि है।
रोजाना अपने चैनल पर एक-दो घंटे विद्यार्थियों को उपयोगी टिप्स देने वाले परिमल कुमार बताते हैं कि उनकी मंशा हर जरूरतमंद छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार करना है। इसी के तहत वे फ्री कोचिंग, करोड़ों की स्कॉलरशिप आदि भी जरूरमंद छात्रों को देते हैं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान कोचिंग बंद होने से विद्यार्थी मायूस हो गए। उनकी परीक्षा की तैयारी बाधित हो रही थी, तो उन्होंने इनके लिए कुछ अलग तरीके से पढ़ाई की सोची।
छात्रों के हर सवाल का दिया जवाब
लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी शिक्षण संस्थानों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की, लेकिन यह ज्यादातर एकतरफा ही है। इसमें पढ़ने वाले विद्यार्थी केवल दर्शक या श्रोता बनकर रह जाते थे। इससे विद्यार्थियों की रुचि धीरे-धीरे कम होती जाती है। इससे बचने के लिए उन्होंने दोतरफा संवाद विकसित करने की सोची। वे जो भी पढ़ाते या टिप्स देते तो उसको लेकर वे छात्रों के मन में उठने वाले सवाल भी अपने मोबाइल पर मंगवाते और उसका जवाब देते।
इससे रोजाना उनके पास हजारों की संख्या छात्रों के सवाल आने लगे, जिसका वे जवाब देते। इसके लिए उन्होंने अपनी एक टेक्निकल टीम भी विकसित की। छात्रों के मन की जिज्ञासा शांत होने लगी तो इस ऑनलाइन पढ़ाई में उनकी रुचि बनी रही और वे उनसे जुड़ने लगे।
विकसित किया मोबाइल एप
लॉकडाउन में शिक्षण संस्थानों के बंद होने के कारण कोचिंग संस्थान के यू-ट्यूब चैनल से जुड़ने वाले विद्यार्थी लगातार इनसे संपर्क कर अपनी व्यथा बताने लगे, सवाल पूछने लगे, लेकिन इस तरह से फोन पर सबकेे सवालों का जवाब देना संभव नहीं था। विद्यार्थियों की जिज्ञासा को देखते हुए परिमल कुमार ने एक माह पहले ही खुद का मोबाइल एप विकसित कराया। इस एप के जरिये दोतरफा संवाद बढ़ा।
पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के टेस्ट भी होने लगे। इसके जरिये विद्यार्थियों को पढ़ाई में यू-ट्यूब चैनल से ज्यादा सहुलियत हुई, क्योंकि केवल एक माह के अंदर पांच हजार से ज्यादा छात्रों ने इस एप को डाउनलोड कर अपनी पढ़ाई शुरू की है। परिमल कहते हैं कि यदि दिल में किसी काम के प्रति सच्ची लगन हो तो रास्ते खुद-ब-खुद निकल आते हैं। सब कुछ बंद होने के कारण अपने भविष्य व रोजगार को लेकर सशंकित कोचिंग संस्थान के शिक्षक व कर्मचारी भी इससे उत्साहित हैं और उन्हें आजीविका की नई राह भी मिली है।