Kisan Andolan: खेतों में खराब हो रही है सब्जी की फसल, मोटे नुकसान से सहमे किसान
Kisan Andolan ग्यासपुर के किसान मुकीम ने बताया कि उसने पीरगढ़ी गांव में यमुना के साथ लगते खेत ठेके पर ले रखे हैं। यमुना बेल्ट के साथ लगते किसान सब्जियों की खेती को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने अपने एक एकड़ खेत में गाजर की खेती की।
गन्नौर (सोनीपत) [आशीष मुदगिल]। किसान आंदोलन का असर सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। दिल्ली आवागमन का रास्ता बंद होने के कारण वे अपनी सब्जियों को लेकर दिल्ली की मंडियों में नहीं जा पा रहे हैं। गन्नौर से कुंडली तक यमुना किनारे लगभग सभी किसान सब्जी की खेती करते हैं और इनके लिए सबसे बड़ा बाजार दिल्ली ही है। इन दिनों इस क्षेत्र के खेतों से इतनी सब्जियां निकलती है कि उसका सोनीपत या आसपास की मंडियों में पूरा खपत नहीं हो पाता है। साथ ही यहां किसानों को सही भाव भी नहीं मिलते हैं। खेतों में सब्जी की फसल खराब होने लग रही है, इसलिए दिल्ली का रास्ता बंद होने के कारण मजबूरी में किसानों को औने-पौने दामों को स्थानीय मंडी में सब्जियां भेज रहे हैं।
यही नहीं, यदि कोई किसान छोटी गाड़ियों से सब्जी लेकर दिल्ली जाना भी चाहे तो उन्हें काफी घूमकर जाना पड़ रहा है और सारा मुनाफा किराया में ही समाप्त हो जाता है। इस बीच उन्हें जाम लगने का भी डर रहता है। यदि गाड़ियां जाम में फंस गई तो सारी सब्जियां खराब हो सकती है। इसलिए वे लोग अपनी सब्जियां लेकर दिल्ली नहीं जा पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार वार्ता कर रही है और उनकी मांगों पर भी लिखित आश्वासन दे रही है तो धरनारत किसानों को भी जिद छोड़कर रास्ता खोल देना चाहिए। फिलहाल इस जाम से उन जैसे किसानों को ही ज्यादा नुकसान हो रहा है।
सता रहा नुकसान का भय
ग्यासपुर के किसान मुकीम ने बताया कि उसने पीरगढ़ी गांव में यमुना के साथ लगते खेत ठेके पर ले रखे हैं। यमुना बेल्ट के साथ लगते किसान सब्जियों की खेती को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने अपने एक एकड़ खेत में गाजर की खेती की। सोच रहे थे कि दिल्ली में ले जा कर फसल बेच देंगे तो कुछ मुनाफा हो जाएगा, लेकिन किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के रास्ते बंद हैं। ऐसे में उनकी फसल दिल्ली नहीं पहुंच पा रही है। स्थानीय मंडी में न तो इतनी खपत है और यहां आवक ज्यादा होने केे कारण सही भाव भी नहीं मिल रहे हैं। इससे उन्हें नुकसान का भय सता रहा है।
पहले लाकडाउन अब आंदोलन भी भेंट चढ़े
लॉकडाउन के चलते सब्जी उत्पादकों को मार्च से जून माह तक अपनी पकी सब्जियों को फेंकने व बांटने को मजबूर होना पड़ा था। इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था। अब यह किसान आंदोलन उनके जख्म पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है। गांव अटेरना के किसान प्रवीण ने बताया कि यमुना के खादर क्षेत्र की सब्जी ही मुख्य फसल है। लाकडाउन में हुए नुकसान से ये किसान उबरने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ इस आंदोलन ने उनके जख्म फिर से हरे कर दिए। आंदोलन के चलते किसान जीटी रोड जाम करके बैठे हैं और इसका सबसे ज्यादा नुकसान हमारे जैसे किसानों को ही हो रहा है। यह बात जीटी रोड पर बैठे किसानों का समझना चाहिए। यदि जल्द जाम नहीं खुला तो एक ही साल में दो बार होने वाले जबरदस्त नुकसान क्षेत्र के किसानों की कमर तोड़ देगा।
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