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अधिकारी गाड़ी छोड़ खेतों में जाएं तो उजागर हो सकती हैं गिरदावरी में बड़ी अनियमितताएं

पूनिया राजस्व विभाग की तैयार गिरदावरी की रिपोर्ट की जांच के लिए गोहाना पहुंचे। वे गाड़ी छोड़ कर पैदल करीब पांच किलोमीटर तक खेतों में अंदर तक गए। तब जांच में खुलासा हुआ।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 05:39 PM (IST)
अधिकारी गाड़ी छोड़ खेतों में जाएं तो उजागर हो सकती हैं गिरदावरी में बड़ी अनियमितताएं
अधिकारी गाड़ी छोड़ खेतों में जाएं तो उजागर हो सकती हैं गिरदावरी में बड़ी अनियमितताएं

गोहाना, परमजीत सिंह। अधिकारी अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करें और गाड़ी को छोड़ कर खेतों में अंदर तक जाएं तो फसल गिरदावरी में बड़ी अनियमितताएं उजागर हो सकती हैं। ऐसा ही मामला उपायुक्त श्यामलाल पूनिया की जांच में सामने आया। पूनिया शनिवार को राजस्व विभाग की तैयार गिरदावरी की रिपोर्ट की जांच के लिए गोहाना के तीन गांवों में पहुंचे। वे गाड़ी छोड़ कर पैदल करीब पांच किलोमीटर तक खेतों में अंदर तक गए। जब रिकार्ड का मिलाना किया तो खेत में गन्ने की फसल खड़ी थी और गिरदावरी की रिपोर्ट में धान चढ़ाया गया था। इसी तरह की कई अनियमितताएं उजागर हुईं।

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किसानों द्वारा खेतों में उगाई जाने वाली फसलों का तीन तरह से रिकार्ड तैयार होता है। पहला किसान अपने खेत में जो फसल उगाते हैं उसकी जानकारी मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर देते हैं। दूसरा राजस्व विभाग के पटवारियों को खेत में मौके पर जाकर किसान द्वारा उगाई गई फसल की गिरदावरी कर रिकार्ड तैयार करना होता है। तीसरा सरकार सैटेलाइट से भी फसलों का रिकार्ड तैयार करवाती है।

राजस्व विभाग के अधिकारी और पटवारी ठीक तरह से गिरदावरी करते हैं या नहीं इसके लिए सरकार द्वारा उपायुक्त, एसडीएम सहित तमाम अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। अधिकारियों को खेतों में पहुंच कर गिरदावरी की रिपोर्ट की जांच करनी होती है।

अकसर अधिकारी एससी कार्यालय से एसी गाड़ी में बैठ कर निकलते हैं। अधिकारी गांवों में जाते तो जरूर हैं लेकिन एससी गाड़ी में बैठे-बैठे ही सड़क से फसल पर नजर दौड़ा कर गिरदावरी रिपोर्ट की जांच की खानापूर्ति कर देते हैं। सरकार की तिहरी प्रणाली में अधिकारियों की परेशानी बढऩे लगी है। सरकार के पास तीन तरह के डाटा उपलब्ध होते हैं और उनके आंकड़ों में अंतर आने पर अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े होते हैं। अगर अधिकारी और कर्मचारी खेतों में जाकर सही तरह से गिरदावरी करें तो तीनों रिकार्ड के आंकड़े एक समान होने चाहिएं।

योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान भी दे देते हैं गलत सूचना

सरकार द्वारा कई फसलों पर किसानों को अनुदान या प्रोत्साहन राशि दी जाती है। कुछ किसान सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए पोर्टल पर अपने खेत में उगाई गई फसलों की सही जानकारी नहीं देते हैं। किसान खेत में फसल तो दूसरी उगाते हैं और पोर्टल पर दूसरी फसल दर्ज करवा देते हैं। ऐसे मामले कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों के सर्वे में उजागर हो चुके हैं। राजस्व विभाग के हलका पटवारियों को साल में दो बार एक-एक खेत में जाकर गिरदावरी की रिपोर्ट तैयार करनी होती है। किसान ने अपने खेत में जो फसल उगाई है उसी को रिकार्ड में दर्ज करना होता है। कुछ पटवारी सभी खेतों में जाए बिना ही नंबरदारों या अपने परिचितों से बातचीत करके गिरदावरी की रिपोर्ट को पूरा कर देते हैं।

उपायुक्त गाड़ी छोड़ खेतों के अंदर गए तो उजागर हुई अनियमितताएं

उपायुक्त श्यामलाल पूनिया अधिकारियों के साथ शनिवार को गांव बरोदा मोर, महमूदपुर और जसराना में गिरदावरी रिपोर्ट की जांच करने के लिए पहुंचे। श्यामलाल पूनिया ने गांव बरोदा मोर में स्वयं जांच की। वे रोड पर गाड़ी को छोड़ कर पैदल खेतों की तरफ बढ़े। साथ चल रहे अधिकारियों को लग रहा था कि उपायुक्त थोड़ा अंदर जाकर वापस आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उपायुक्त पैदल करीब पांच किलोमीटर तक चले और खेतों में अंदर तक पहुंच गए। वहां रिकार्ड का मिलान किया तो खेत में गन्ने की फसल उगी थी जबकि राजस्व विभाग के रिकार्ड में पटवारी ने दूसरी फसल चढ़ा रखी थी। गिरदावरी में इसी तरह की कई अनियमितताएं मिली। इस उन उन्होंने हलका पटवारी के निलंबन के आदेश भी जारी किए। अगर पूनिया की तरफ दूसरे अधिकारी भी एससी गाडिय़ों को छोड़ कर खेतों के अंतर तक जाएं तो गिरदावरी में अनियमितताएं उजागर हो सकती है। उपायुक्त ने अधिकारियों को निष्पक्ष गिरदावरी के आदेश दिए हैं।

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