किसान आंदोलनः जाम और रूट डायवर्ट से लोगों को परेशानी, किसान बोले- अब बड़े फैसले लेने की जरूरत
जाम का सबसे ज्यादा असर जीटी रोड पर रहा जहां गन्नौर से लेकर मुरथल व बहालगढ़ से बीसवां मील तक वाहनों की कतार लग गई और जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस की और गन्नौर से लेकर बहालगढ़ तक नाका लगाकर वाहनों के रूट डायवर्ट किए जा रहे थे।
सोनीपत [संजय निधि/जागरण टीम]। कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर आंदोलनकारियों द्वारा एक्सप्रेस-वे जाम करने से दिल्ली की ओर आवागमन करने वाले वाहन चालकों को भारी परेशानी हुई। जाम का सबसे ज्यादा असर जीटी रोड पर रहा, जहां गन्नौर से लेकर मुरथल व बहालगढ़ से बीसवां मील तक वाहनों की कतार लग गई और जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस की और गन्नौर से लेकर बहालगढ़ तक नाका लगाकर वाहनों के रूट डायवर्ट किए जा रहे थे, लेकिन भारी वाहनों के बहालगढ़ और बीसवां मील तक आ जाने इन्हें डायवर्ट करने में परेशानी हुई।
गन्नौर, मुरथल, बहालगढ़ व बीसवां मील पर नाका लगाकर पुलिस ने किया वाहनों को डायवर्ट
जीटी रोड पर थाना गन्नौर व बड़ी पुलिस ने नाके लगा कर कुंडली और दिल्ली की ओर जाने वाले वाहनों को डावयर्ट कर वैकल्पिक रास्तों से भेजा। हलदाना बार्डर पर थाना गन्नौर पुलिस की टीम नाके पर तैनात रही। वहीं गन्नौर फ्लाईओवर शुरू होने से पहले गन्नौर व बड़ी थाना की पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से नाका लगाया गया। पुलिस ने वाहनों गन्नौर फ्लाईओवर अंडर पास की तरफ डायवर्ट कर दिया। इसके बाद तीसरा नाका गन्नौर फ्लाईओवर अंडर पास के निकट लगाया गया, जहां से पुलिस ने दिल्ली, मानेसर व पलवल जाने वाले वाहन चालकों को गन्नौर शहर से खुबडू झाल रोड से होते हुए बवाना, दिल्ली की ओर डायवर्ट कर दिया। इसी तरह मुरथल के पास से भी वाहनों को डायवर्ट कर शहर से होते हुए खरखौदा होते हुए दिल्ली या बहादुरगढ़ की ओर डायवर्ट किया गया। रूट डायवर्ट होने के कारण केएमपी या केजीपी के रास्ते दिल्ली व गुरुग्राम की ओर जाने वाले वाहनों को 15 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ा।
लोगों ने कहा
गाड़ी लेकर मानेसर जाना था। गाड़ी में माल लोड है, लेकिन केएमपी बंद है। दूसरे रास्ते से इस बड़ी गाड़ी को लेकर जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ेगी, इसलिए उन्हें मजबूरन यहीं गाड़ी खड़ी रखनी पड़ेगी। माल पहुंचने में देरी होगी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
संदीप, ट्राला चालक, कुमासपुर।
दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में सिविल इंजीनियर हूं। साइट पर काम चलने के कारण रोजाना आना-जाना पड़ता है। कुंडली बार्डर पहले से ही बंद है तो केएमपी के रास्ते साइट पर पहुंच जाता था, लेकिन आज वह भी बंद है। इसलिए मजबूरन ड्यूटी पर नहीं जा पाया। इससे कंपनी में रेपुटेशन खराब हो रही है। सरकार और आंदेलनकारियों को इस बारे में भी सोचना चाहिए।
श्यामवीर त्यागी, राई।
हर रोज बिजनेस के सिलसिले में गांव से केएमपी होते हुए मानेसर और रेवाड़ी जाना पड़ता है, लेकिन आंदोलनकारियों से वे पूरी तरह से परेशान हो चुके हैं। क्योंकि चार महीने के अंतराल में वे कई बार केएमपी पर भी जाम लगा चुके हैं। इसके कारण जरूरी काम भी छूट जाते हैं। आंदोलनकारियों को भी सोचना चाहिए, रोड जाम से आम आदमी का ही नुकसान होता है।
मुकेश कत्याल, झुंडपुर
किसान बढ़ा सकते हैं जाम की अवधि
वाहन चालकों की आफत बढ़ सकती है। आंदोलनकारी केजीपी-केएमपी जाम की अवधि बढ़ा सकते हैं। यहां मौजूद कुछ आंदोलनकारी में चर्चा थी कि मोर्चा की ओर से संकेत मिलने पर जाम को बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि वे साढ़े चार माह से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दिए हुए हैं, लेकिन सरकार उनकी नहीं सुन रही है। बातचीत भी बंद है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए अब कुछ बड़े निर्णय लिए जाने का जरूरत है। बताया जा रहा है कि यदि सहमति बनी तो जाम की अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।