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कृषि कानून विरोधी आंदोलन : भारत बंद से कृषि कानूनों को रद कराने की रणनीति

मोर्चा के नेताओं ने कहा कि भारत बंद से केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों पर यू-टर्न लेने पर मजबूर किया जाएगा। किसान आंदोलन को देशभर में फैलाने और तेज करने के लिए गांवों में जाकर लोगों को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत होगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 08:34 PM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 08:34 PM (IST)
कृषि कानून विरोधी आंदोलन : भारत बंद से कृषि कानूनों को रद कराने की रणनीति
कुंडली बार्डर पर दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर से जुटे प्रतिनिधियों ने किया मंथन

सोनीपत, जागरण संवाददाता। संयुक्त किसान मोर्चा ने 25 सितंबर के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि भारत बंद से केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों पर यू-टर्न लेने पर मजबूर किया जाएगा। साथ ही किसान आंदोलन को देशभर में फैलाने और तेज करने के लिए गांवों में जाकर लोगों को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत में उत्तर प्रदेश के लिए जनसंघर्ष का ऐलान किया जाएगा।

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पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर की महापंचायत में उत्तर प्रदेश के जनसंघर्ष का होगा ऐलान

कुंडली बार्डर पर हुए दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन में लिए गए फैसलों के बारे में बताने के लिए शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता की गई। सम्मेलन के संयोजक डा. आशीष मित्तल, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य प्रेम सिंह भंगू, कंवल संधू, डा. सतनाम अजनाला, बलदेव सिंह निहालगढ़, अतुल रंजन, चरणजीत सिहं सेखों, राजा राम सिंह, अतुल अंजान, जगमोहन सिंह, सत्यवान आदि ने प्रेसवार्ता में अपनी बात रखी।

25 सितंबर को भारत बंद के जरिये सरकार को कृषि कानून रद करने को करेंगे मजबूर

संयोजक डा. आशीष मित्तल ने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से देश की सभी ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों और महिला विंग को एक मंच लाकर कृषि कानूनों पर चर्चा की। 100 से अधिक विशेषज्ञ वक्ताओं ने कानूनों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में सभी ट्रेड यूनियनों के सहयोग से 25 सितंबर को भारत बंद करने का फैसला लिया गया है। वहीं पांच सितंबर को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश केे लिए जनसंघर्ष का किया एलान

यहीं से उत्तरप्रदेश के लिए जनसंघर्ष का ऐलान किया जाएगा। सम्मेलन में यह भी तय हुआ है कि गांव और जिला स्तर पर बैठकें आयोजित कर आंदोलन को तेज करने का काम करेंगे। डा. मित्तल ने कहा कि सम्मेलन में तीन कृषि कानूनों को रद करने, एमएसपी पर गांरटी कानून बनाने, नई बिजली अधिनियम को रद करने और एनसीआर में प्रदूषण पर किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न करने के मामले प्रमुखता से उठाते हुए प्रस्ताव पारित कर इन्हें वापस लेने की मांग की गई।

तीन हजार प्रतिनिध जुटे

डा. सतनाम अजनाला ने बताया कि 25 सितंबर का भारत बंद को लेकर सभी ट्रेड यूनियनों ने समर्थन देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि भारत बंद के माध्यम से दबाव बनाकर सरकार को यू-टर्न लेने पर मजबूर कर देंगे। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर के 300 से अधिक जनसंगठनों के तीन हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मनरेगा का कार्यकाल दो महीने का किया जाए और प्रतिदिन दिहाड़ी 600 रुपये की जाए। घटिया गेहूं और चावल देने से देश की गरीबी दूर नहीं होगी बल्कि कुछ ठोस करना होगा।


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