Kisan Andolan: केंद्र सरकार के प्रति गरम तो पंजाब सरकार के खिलाफ किसान नेताओं का तेवर नरम
Kisan Andolan युक्त किसान मोर्चा की बैठक में पंजाब के संगठनों के द्वारा यह घोषणा भी की गई कि पंजाब में बिजली की आपूर्ति की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के आवास मोती महल के घेराव का पूर्व घोषित कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।
नई दिल्ली/सोनीपत [संजय निधि]। नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तेज करने का एलान किया। वहीं, पंजाब सरकार के खिलाफ तेवर नरम नजर आए। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में पंजाब के संगठनों के द्वारा यह घोषणा भी की गई कि पंजाब में बिजली की आपूर्ति की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, इसलिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के आवास मोती महल के घेराव का पूर्व घोषित कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।
प्रधानमंत्री आवास पर होगा छह को प्रदर्शन
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि फरीदाबाद के खोरी गांव को उजाड़ने के विरोध में छह जुलाई को प्रधानमंत्री आवास पर बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बेशक सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, लेकिन इसके बाद भी सरकार के पास लोगों को उजाड़ने से बचाने के कई रास्ते हैं। सरकार को वहां रहने वाले सभी लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करना चाहिए। सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों का धरना प्रदर्शन 7 महीने के बाद भी जारी है। 28 नवंबर से शुरू केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शरू करने वाले किसान प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब तक तीनों केंद्रीय कृषि कानून वापस नहीं ले लिए जाते हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
दिल्ली में संसद भवन के बाहर करेंगे प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के तहत किसान दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर जमा है। वहीं, रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक अहम बैठक कर निर्णय लिया कि संसद के मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के पास प्रदर्शन किया जाएगा। किसानों नेताओं ने बताया कि 22 जुलाई से मानसून सत्र के दौरान रोजाना अलग-अलग संगठनों से करीब 200 आंदोलनकारी दिल्ली पहुंचकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
किसान नेताओं ने 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पूर्व 17 जुलाई को मोर्चा के सदस्य सभी विपक्षी दलों के सांसदों को चेतावनी पत्र देकर संसद में चुप्पी तोड़ने या कुर्सी छोड़ने की मांग करेंगे। उनसे अपील करेंगे कि जब तक तीनों कृषि कानूनों को रद नहीं किया जाता और एमएसपी पर कानून बनाने की बात नहीं होती, तब तक संसद न चलने दें।