Baroda By-Elections 2020: BJP ने योगेश्वर पर लगाया दांव, कार्यकर्ताओं में खुशी
भाजपा-जजपा गठबंधन ने ओलंपिक पदक विजेता भाजपा नेता योगेश्वर दत्त पर एक बार फिर भरोसा जता कर बरोदा से मैदान में उतारा। 2019 के विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त बरोदा से भाजपा के प्रत्याशी थे। वे कांटे की टक्कर से श्रीकृष्ण हुड्डा से चुनाव हार गए थे।
गोहाना, संजय निधि। भाजपा-जजपा गठबंधन के प्रत्याशी की घोषणा होते ही बृहस्पतिवार देर रात कार्यकर्ताओं ने खुशी मनाई। कार्यकर्ताओं ने मिठाई भी बांटी। टिकट की घोषणा के साथ ही नामांकन पत्र जमा कराने और चुनावी कार्यालय खोलने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है।
भाजपा-जजपा गठबंधन ने ओलंपिक पदक विजेता भाजपा नेता योगेश्वर दत्त पर एक बार फिर भरोसा जता कर बरोदा से मैदान में उतारा। 2019 के विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त बरोदा से भाजपा के प्रत्याशी थे। वे कांटे की टक्कर से श्रीकृष्ण हुड्डा से चुनाव हार गए थे। बृहस्पतिवार देर रात दिल्ली में जैसे ही योगेश्वर की टिकट की घोषणा हुई तो भाजपा के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। दत्त के साथ दिल्ली गए कार्यकर्ताओं ने वाट्सएप पर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को सूचना दी। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं को शुक्रवार को योगेश्वर के नामांकन में शामिल होने के लिए शहर में भाजपा के कार्यालय में पहुंचने संदेश दिया गया। दत्त को टिकट मिलते ही भाजपा के कार्यालय में कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांट कर खुशी मनाई।
योगेश्वर दत्त ने जीता था कुश्ती में पदक
मूल रूप से गांव भैंसवाल कलां के योगेश्वर दत्त ने 2012 में लंदन ओलंपिक में कुश्ती में पदक जीता था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में डीएसपी बने। योगेश्वर दत्त 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले 26 सितंबर को डीएसपी पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने बरोदा हलका से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस समय इस हलके में भाजपा का खास प्रभाव नहीं था, लेकिन योगेश्वर बड़े और नए चेहरे के रूप में मैदान में आए। दत्त कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा से चुनाव हार गए थे। हुड्डा को 42566 वोट मिले थे और दत्त को 37226 वोट मिले थे। इसके बाद दत्त लगातार बरोदा हलका के लोगों के बीच रहे और भाजपा संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास किया।
टिकट मिलने का कारण
योगेश्वर दत्त देश के चर्चित पहलवान हैं और देश के सेलिब्रिटी भी हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में योगेश्वर दत्त चुनाव भले ही हार गए थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा को कड़ी टक्कर दी थी। दत्त का गांव भैंसवाल कलां बरोदा हलका के बड़े गांवों में से एक है। गांव में दो पंचायतें हैं और करीब 6400 मतदाता हैं। राजनीतिक क्षेत्र में दत्त ब्राह्मणों के भी बड़े चेहरे हैं। बरोदा हलका जाट बाहुल्य और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ है। हलका में गैर जाट करीब 84 हजार हैं। योगेश्वर दत्त की जाटों में भी ठीक पकड़ मानी जाती है। ऐसे में वे गैर जाट मतदाताओं के साथ जाटों के भी वोट ले सकते हैं। राजनीतिक रणनीतिकारों का मानना है कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा को लेकर बाहरी का मुद्दा था। टिकट नहीं मिलने पर भूपेंद्र मलिक कांग्रेस छोड़ कर जजपा में गए थे और चुनाव लड़ा था। रणनीतिकार मान रहे हैं कि उस समय मलिक को हुड्डा के बाहरी होने के विरोध के चलते भी वोट मिले थे।
चुनौती
-बरोदा हलका पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ है। इस समय किसान आंदोलन भी चला हुआ है। भाजपा के सामने चुनाव में किसानों को मनाने के साथ गैर जाट के साथ जाटों को भी अपने पक्ष में लाने की चुनौती रहेगी।
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