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Kisan Andolan: किसान आंदोलनकारियों को जरूर पढ़नी चाहिए यह खबर, गफलत है तो दूर हो जाएगी

हरियाणा की अनाजमंडियों में कपास की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के अधिक भाव पर बिक रही है। एमएसपी से अधिक भाव मिलने पर दिल्ली से सटे सोनीपत के किसान भी बहुत खुश हैं।

By Jp YadavEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 09:38 AM (IST)
Kisan Andolan: किसान आंदोलनकारियों को जरूर पढ़नी चाहिए यह खबर, गफलत है तो दूर हो जाएगी
Kisan Andolan: किसान आंदोलनकारियों को जरूर पढ़नी चाहिए यह खबर, गफलत है तो दूर हो जाएगी

सोनीपत/गोहाना, जागरण संवाददाता। दिल्ली-एनसीआर के बार्डर पर तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। इस बीच किसानों के लिए विभिन्न मोर्चों पर बड़ी खबरें भी सामने आ रही हैं। दरअसल, ये खबर किसान आंदोलनकारियों के लिए भी हैं, जो पिछले 10 महीने से आंदोलनरत है। ताजा जानकारी के मुताबिक, गोहाना की अनाजमंडी में कपास की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के अधिक भाव पर बिक रही है। एमएसपी से अधिक भाव मिलने पर किसान खुश हैं। अनाजमंडी में अब तक कपास की पूरी फसल की खरीद प्राइवेट एजेंसियों ने की है। 2019-20 के सीजन में किसानों ने अपनी कपास एमएसपी पर बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। दरअसल, आंदोलन कारी किसानों का यह समझना चाहिए कि एमएसपी न तो खत्म हो रही है और न ही इससे कोई घाटा हो रहा है। इससे फायदा ही है, इसका नमूना गोहाना की अनाजमंडी में देखने को मिल रहा है। 

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गोहाना की अनाजमंडी में बुधवार तक 2982 क्विंटल कपास की आवक हुई है। सरकार ने पतले रेशे की कपास का एमएसपी 5,825 रुपये और मोटे रेशे की कपास का एमएसपी 6,025 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है। गोहाना क्षेत्र में किसान मुख्य रूप से मोटे रेशे वाली कपास उगाते हैं। अनाजमंडी में कपास 6,400 रुपये से 72 सौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है। बारिश ने इस बार फसल में कपास के साथ दूसरी फसलों में नुकसान पहुंचाया है। इससे किसानों को अच्छे भाव मिलने पर भी अपेक्षाकृत फायदा नहीं हुआ।

पिछले सीजन में एमएसपी को कराना पड़ा था संघर्ष

क्षेत्र के किसानों ने 2019-20 के सीजन में कपास को एमएसपी पर बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। किसानों ने कई बार भाव लेने के लिए आंदोलन किया था। उस समय बरोदा हलका का उपचुनाव चल रहा था। तब सरकार ने मंडी में काटन कारपोरेशन आफ इंडिया की टीम भेजकर कपास की एमएसपी पर खरीद करवाई थी।

कपास का रकबा घटा

गोहाना उपमंडल में करीब एक लाख 60 हजार एकड़ में खेती होती है। वर्ष 2019-20 के सीजन में गोहाना में किसानों ने चार हजार एकड़ में कपास उगाई थी। इस बार किसानों ने करीब 35 सौ एकड़ में कपास उगाई है।

सतीश (किसान, गांव कोहला) के मुताबिक, कपास के भाव तो अच्छे मिल रहे हैं लेकिन इस बार बारिश से नुकसान हुआ है। बारिश से काफी फसल खराब हो गई। उत्पादन कम हो रहा है।  

देवव्रत (किसान, गांव कोहला) के मुताबिक,सात एकड़ में कपास उगाई थी। शुरुआत में फसल भी अच्छी हुई लेकिन बाद में बारिश से काफी नुकसान पहुंचाया। अगर बारिश से नुकसान नहीं होता तब कपास में अच्छा फायदा हो सकता था।

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