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जिले में 800 एमएम रिकार्ड बरसात, अभी सक्रिय है मानसून

भारी बारिश से शहर-गांव से लेकर खेत-खलिहान तक जलमग्न हैं। बारिश के बाद ज्यादातर मार्ग घंटों तक आवागमन के लिए बंद रहते हैं। इस साल हो रही रिकार्ड बरसात अभी जारी है। बारिश ने पिछले पांच साल का रिकार्ड तोड़ दिया है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 09:06 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 09:06 PM (IST)
जिले में  800 एमएम रिकार्ड बरसात, अभी सक्रिय है मानसून
बारिश ने पिछले पांच साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

सोनीपत [डीपी आर्य]। भारी बारिश से शहर-गांव से लेकर खेत-खलिहान तक जलमग्न हैं। बारिश के बाद ज्यादातर मार्ग घंटों तक आवागमन के लिए बंद रहते हैं। इस साल हो रही रिकार्ड बरसात अभी जारी है। बारिश ने पिछले पांच साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। वर्ष 2016 और 2019 के सापेक्ष तो बरसात दो-गुना से ज्यादा हो चुकी है। शासन-प्रशासन की कागजी व्यवस्था से एक ओर जहां आसमान से बरसने वाले अमृत को नहीं संभल पा रहे हैं, वहीं प्रकृति का यह वरदान आफत बनकर सामने आ रहा है।

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कृषि विभाग के तकनीक अधिकारी डा. देवेंद्र कुहाड़ ने बताया कि सोनीपत सहित हरियाणा-एनसीआर के ज्यादातर जिलों में भूजल स्तर गिरता जा रहा है। जलदोहन ज्यादा होने और जल संचय की कमी के कारण भूजल का स्तर खतरे के निशान तक गिर चुका है। जिले के ज्यादातर विकास खंड तो डार्क जोन में शामिल हो चुके हैं। भूजल स्तर गिरने का मुख्य कारण बरसात की कमी को माना जा रहा था। इसके साथ ही बारिश के तत्काल बाद पानी नदी-नालों से बहकर दूर चला जाता है। अपने यहां पर उसका संचय नहीं हो पाता है। इसके लिए शासन ने गांव का पानी गांव में और खेत का पानी खेत में योजना शुरू की थी। ज्यादातर क्षेत्रों में उस पर अमल नहीं हो पाया। जिले के ज्यादातर गांवों में तालाब और जोहड़ अतिक्रमण की चपेट में हैं।

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं लग पाए हैं। ऐसे में करीब एक दशक बाद जमकर बरस रहे मानसून का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक ओर जहां फसलों को नुकसान हो रहा है, वहीं लोगों को जलभराव का सामना करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल में कम हुए प्रदूषण और प्रकृति में हुए सुधार का प्रभाव भरपूर बारिश के रूप में देखने को मिल रहा है।

वर्ष 2019 में जितनी बारिश हुई थी, लगभग उतनी तो इस बार जुलाई में ही हो चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलसंचय के पर्याप्त इंतजाम होते ताे इन दो सालों में भूजल स्तर संतोषजनक स्थिति में पहुंच जाता। डार्क जोन वाले क्षेत्रों को खत्म कर दिया जाता है और धान की फसल को हतोत्साहित नहीं करना पड़ता।

कृषि विभाग के उप निदेशक डा. अनिल सहरावत ने बताया कि इस बार रिकार्ड बारिश हुई है। छह साल में सबसे ज्यादा बरसात इस साल हुई है। अभी मानसून सक्रिय है। किसानों को जलसंचय के साधनों को विकसित करने को प्रेरित किया जा रहा है। इसी तरह बरसात होती रही तो भूजल स्तर में पर्याप्त बढ़ोतरी हो सकेगी।

पांच साल में पहली बार मानक स्तर से पार हुई बारिश

साल                           बरसात एमएम में

2016 --------------------- 357.75

2017 --------------------- 481.00

2018 -------------------- 421.25

2019 ------------------- 321.65

2020 -------------------- 659.75

2021 -------------------- 810.00


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