गांव गुढ़ा में कचरे का होगा उचित प्रबंध, दूषित पानी की होगी निकासी
गांव गुढ़ा में ठोस और गीले कचरे का उचित प्रबंध किया जाएगा और दूषित पानी की निकासी की भी उचित व्यवस्था होगी।
जागरण संवाददाता, गोहाना : गांव गुढ़ा में ठोस और गीले कचरे का उचित प्रबंध किया जाएगा और दूषित पानी की निकासी की भी उचित व्यवस्था होगी। कचरे के निष्पादन के लिए गांव में शेड व चेंबर बनाए जाएंगे और पानी की निकासी के लिए पंपसेट लगाया जाएगा और पाइप लाइन दबाई जाएगी। पाइप लाइन को सीवर की मुख्य लाइन से जोड़ा जाएगा। बुधवार को शेड व चेंबर निर्माण कार्य का शिलान्यास ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक हरदीप सिंह ने किया। साथ ही उन्होंने गांव में नवनिर्मित कम्युनिटी सेंटर का उद्घाटन भी किया।
गोहाना शहर से सटे गांव गुढ़ा में आबादी क्षेत्र के बीच में दूषित पानी का तालाब है। पहले ग्रामीण इसी तालाब में पशुओं को नहलाते व पानी पिलाते थे। गांव की गलियों का दूषित पानी करीब दो दशक से इसी तालाब में जाता है। इससे यह तालाब दूषित हो चुका है और ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। अब पंचायत विभाग इस तालाब में दूषित पानी जाने से रोकेगा। तालाब की चारदीवारी करवा कर इसके साथ में कुआं बनाया जाएगा और वहां पंपसेट लगाया जाएगा। पंपसेट से मुख्य सीवर लाइन तक करीब 12 सौ फुट लंबाई में पाइप लाइन दबाई जाएगी। ठोस कचरे के प्रबंध के लिए विभाग द्वारा गांव में शेड बनवा कर उसमें चेंबर बनाए जाएंगे। यहां गीला कचरा डाल कर खाद तैयार किया जाएगा। पंचायत द्वारा सूखे कचरे को घर-घर से एकत्रित करके खाली जमीन में डलवाया जा रहा है। दोनों प्रोजेक्ट पर करीब 43.43 लाख रुपये खर्च होंगे। विभाग द्वारा पहली किस्त में 9.55 लाख का बजट जारी किया है। पंचायत की कोशिश रहेगी की पानी की निकासी का प्रबंध होने के बाद तालाब के साथ पगडंडी बना कर पौधे रोपे जाएं। ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक हरदीप सिंह ने पहले ठोस व गीला कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी और उसके बाद गांव में करीब 27 लाख से तैयार कम्युनिटी सेंटर का लोकार्पण किया। इस मौके पर गोहाना के एसडीएम आशीष वशिष्ठ, सरपंच सोनिया सुहाग, कार्यकारी अभियंता कर्मवीर शर्मा, बीडीपीओ मनोज कौशल, एसडीओ कुलबीर फौगाट, एसडीओ अनिल काजल, समुंद्र सुहाग आदि मौजूद रहे। पंचायतें अपने स्तर पर भी करवा सकती हैं स्टेडियमों का सुधार : हरदीप
ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक हरदीप सिंह ने कहा कि गांवों में खिलाड़ियों की सुविधा के लिए जो स्टेडियम बने हैं, उनके रखरखाव की जिम्मेदारी काफी हद तक पंचायत की होती है। पंचायतों के पास फंड होता है, जिसे खर्च करके स्टेडियमों का सुधार करवाया जा सकता है। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि गांवों में बने स्टेडियम ग्राम पंचायतों का हिस्सा हैं और उनका रखरखाव करना चाहिए। दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में मनरेगा मजदूरों के लिए काफी उपयोगी साबित हुई। इस योजना के तहत हजारों श्रमिकों को काम मिला। लॉकडाउन में दोगुना काम हुआ, जिस पर लगभग 200 करोड़ रुपये बजट खर्च हुआ।