शमशान में एक साथ जलीं चारों चिताएं
गांव महलाना के पास कार नहर में गिरने से चार लोगों की मौत के बाद देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव गोहाना पहुंचे। बस स्टैंड के सामने स्थित श्मशान घाट में बाप-बेटे का एक चिता में और मां-बेटी का दूसरी चिता में अंतिम संस्कार किया गया।
जागरण संवाददाता, गोहाना (सोनीपत) : गांव महलाना के पास कार नहर में गिरने से चार लोगों की मौत के बाद देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शव गोहाना पहुंचे। बस स्टैंड के सामने स्थित श्मशान घाट में बाप-बेटे का एक चिता में और मां-बेटी का दूसरी चिता में अंतिम संस्कार किया गया। विजयपाल के भाई चंद्रपाल ने दोनों चिताओं को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों की आंखें नम थी। चंद्रपाल रोते हुए बार-बार कह कर रहे थे कि भगवान ने उनके परिवार को क्यों उजाड़ दिया।
परिजन रातभर करते रहे फोन, सुबह मिली मौत की सूचना
कई रिश्तेदारों ने बताया कि रात के समय उन्हें विजयपाल और उनके परिवार के घर न लौटने की जानकारी मिली तो उन्होंने रात को कई बार फोन किए, मगर फोन स्विच ऑफ था। शनिवार सुबह एक रिश्तेदार को पुलिस के जरिए विजयपाल के परिवार सहित कार नहर में गिरने की सूचना मिली तो सभी लोग घटनास्थल की ओर दौड़े। परिवार शहर की चोपड़ा कॉलोनी में रहता था। जिस किसी को घटना की सूचना मिली वह शोक व्यक्त करने के लिए उनके निवास की तरफ चल पड़ा। घर पर सिर्फ विजयपाल की मां कृष्णा थी, लेकिन उन्हें घटना की सूचना नहीं दी गई थी। ऐसे में लोग सीधे उनके घर न जाकर आस-पड़ोस के लोगों के यहां बैठ गए। लोगों ने बताया कि विजयपाल की मां की तबीयत ठीक नहीं है। हादसे का पता लगने पर विजयपाल के ताऊ बलजीत भी वहां पहुंचे। लेकिन अपने भतीजे के घर के अंदर न जाकर पड़ोसी के घर के बाहर बैठ गए। जब तक चारों के शव घर पर नहीं पहुंचे कृष्णा को कुछ नहीं बताया गया। जो भी व्यक्ति शोक व्यक्त करने पहुंचता उसे विजयपाल के घर जाने से रोक दिया जाता। ऐसे में लोग पड़ोसियों के घरों के बाहर जमा हो गए। मौके पर पहुंचा हर व्यक्ति सदमे में था। विजयपाल अपने भाई के साथ मिलकर करते थे काम
विजयपाल अपने छोटे भाई चंद्रपाल के साथ मिलकर गाड़ियों की सेल-परचेज का काम करते थे। दोनों यह काम करीब 18 साल से कर रहे हैं। पहले वे सोनीपत में काम करते थे और सात-आठ साल से गोहाना में काम कर रहे थे। दोनों साथ रहते थे और उन्होंने करीब तीन साल पहले चोपड़ा कॉलोनी में अपना मकान बनाया था। चंद्रपाल अविवाहित हैं। उनके पास उनकी मां कृष्णा भी रहती हैं जबकि उनके पिता रामनारायण की कई साल पहले मौत हो चुकी है। दोनों भाइयों ने शहर में रोहतक रोड स्थित बिजली निगम के कार्यालय के निकट ऑफिस खोल रखा था। कम उम्र में आ गई थी परिवार की जिम्मेदारी :
विजयपाल के पिता रामनारायण की करीब 29 साल पहले मौत हो गई थी। उस समय विजयपाल की उम्र करीब 15-16 साल की थी। पहले तो परिवार को रामनारायण के भाई बलजीत और इंद्रजीत ने संभाला। होश संभालने के बाद विजयपाल के कंधों पर परिवार संभालने की जिम्मेदारी आ गई थी। पड़ोसी ने बताया कि विजयपाल बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे। व्यवसाय अच्छा चलने से पूरा परिवार खुश था लेकिन अचानक यह हादसा हो गया।