उपभोक्ताओं को न्याय के लिए नहीं भटकना पड़ेगा : कृष्ण कुमार
हाल में जिला उपभोक्ता आयोग का दर्जा मिला है। आयोग का दर्जा मिलने से शक्ति भी बढ़ी है। बदले स्वरूप को लेकर आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार से दैनिक जागरण के दीपक गिजवाल ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।
दैनिक जीवन में लोग कई सारी वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। वह अच्छा सामान खरीदने के लिए खूब खर्चा करता है, लेकिन अगर उत्पाद खराब और मिलावटी मिले तो उसका अधिकार बनता है कि संबंधित विक्रेता पर हर्जाने का दावा ठोके। जिस तरह किसी आपराधिक मामले में पीड़ित को न्याय के लिए अदालत है ऐसे में ही ग्राहक के साथ ठगी होने की सूरत में न्याय दिलाने के लिए भी उपभोक्ता आयोग है। पहले यह जिला उपभोक्ता फोरम होता था। हाल में जिला उपभोक्ता आयोग का दर्जा मिला है। आयोग का दर्जा मिलने से शक्ति भी बढ़ी है। बदले स्वरूप को लेकर आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार से दैनिक जागरण के दीपक गिजवाल ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :-
फोरम के आयोग बन जाने से क्या फायदा होगा?
- अब उपभोक्ता फोरम की जगह जिला उपभोक्ता आयोग बन गया है, जहां पहले 20 लाख तक की सुनवाई थी। वहीं, अब उपभोक्ता आयोग में 1 करोड़ रुपये तक मुआवजा राशि के मामले में सुनवाई हो सकेगी। इसी तरह राज्य उपभोक्ता आयोग में भी 1 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया है। उपभोक्ता ने सामान बेशक कहीं से भी खरीदा हो, लेकिन उपभोक्ता जिस जिले में रहता है, वह वहां पर जिला आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगा। आयोग धोखाधड़ी के मामले में न्याय दिलाएगा।
उपभोक्ता आयोग में शिकायत कैसे की जा सकती है?
- कोई भी उत्पाद खराब निकलने पर ग्राहक जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर सकता है। धोखा होने पर आसानी से सेवा प्रदाता के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जा सकता है और अपने हक की लड़ाई लड़ सकते हैं। पीड़ित एक सादे कागज पर शिकायत लिखकर आयोग को दे सकता है। शिकायत के समर्थन में बिल व अन्य तरीके से किए गए लेन-देन का सबूत भी देना होता है। शिकायतकर्ता अधिवक्ता के जरिए या खुद भी शिकायत दे सकता है।
कितने तक के नुकसान की शिकायत उपभोक्ता जिला आयोग में कर सकता है?
- जिला स्तर पर पहले यह दायरा 20 लाख रुपये तक का था। आयोग बन जाने से इसके बढ़ाकर 1 करोड़ किया गया है। एक करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने पर राज्य आयोग में शिकायत दी जा सकती है। इससे ज्यादा का मामला है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत कर न्याय पाया जा सकता है। सोनीपत में हर दिन करीब 10 मामले उपभोक्ता फोरम में पहुंचते हैं। आयोग अब जनता को जागरूकता के लिए भी विभिन्न मंच के माध्यम से जागरूकता फैलाएगा। किसी उत्पाद से सेहत को हानि और मुआवजे को लेकर क्या प्रावधान हैं?
- अगर किसी वस्तु या सेवा से उपभोक्ता के सेहत को हानि पहुंचती है तो उपभोक्ता उत्पादक, विक्रेता व सेवा प्रदान करने वाले के खिलाफ केस कर सकता है और सुनवाई के बाद उपभोक्ता को मुआवजा मिल सकता है। पहले किसी मुआवजे के खिलाफ कंपनी केवल 25 हजार रुपये जमा करवाकर राज्य आयोग में अपील कर देती थी, लेकिन अब कंपनी को जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा तय किए गए मुआवजे का 50 फीसदी जमा करवाना होगा, तभी अपील सुनी जाएगी। परिचय :
जिला उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार सेशन जज के पद से सेवानिवृत्त हैं। इनका जन्म 18 नवंबर 1957 को हिसार में हुआ था।
पिता का नाम: दूलीचंद
शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा हिसार में हुई। दसवीं उन्होंने जींद से की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की पढ़ाई की।
नौकरी: दिसंबर, 1999 में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त हुए। पदोन्नत होकर 2001 से 2004 तक झज्जर में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के पद पर नियुक्त रहे। इसके बाद कई जगह सिविल जज के पद पर रहे। करीब 28 साल की सेवा के बाद 2016 में सेशन जज के पद से सेवानिवृत्त होकर सोनीपत, पानीपत व रोहतक में एक साथ स्थाई लोक अदालत के चेयरमैन का पद संभाला। अब सोनीपत में जिला उपभोक्ता आयोग के चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं।
शौक: किताबें पढ़ना व विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लेना।