Move to Jagran APP

अगर कर रहे है पछेती बोवाई, सावधानी बरतें किसान भाई

गेहूं की पछेती प्रजातियों की बोवाई का समय चल रहा र्है। ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 12 Dec 2021 06:56 PM (IST)
अगर कर रहे है पछेती बोवाई, सावधानी बरतें किसान भाई
अगर कर रहे है पछेती बोवाई, सावधानी बरतें किसान भाई

जागरण संवाददाता, सोनीपत:

loksabha election banner

गेहूं की पछेती प्रजातियों की बोवाई का समय चल रहा र्है। ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की हैं। इनका पालन करने पर ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। देरी से बोई जानी वाली फसलों में अपेक्षाकृत पैदावार कम होती है। तापमान कम हो जाने से गेहूं की फसल का यथोचित विास नहीं हो पाता है। ऐसे में कृषि विभाग ने देरी से बोई जाने वाली प्रजातियों की सूची जारी की है। यह प्रजातियां देरी से बोआई करने पर भी बेहतर पैदावार देती है।

21 दिसंबर तक ही हो सकती है बोआई

गेहूं की देरी से होने वाली बोवाई 15 नवंबर से 21 दिसंबर तक ही की जा सकती है। उसके बाद गेहूं की बोआई नहीं करने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों ने किसानों को जागरूक किया है कि 21 नवंबर से पहले हर हाल में गेहूं की बोआई कर दें। उसके बाद की जाने वाली बोआई से जमाव और पैदावार प्रभावित होती है। इस बार दीपावली पर बरसात होते के चलते किसानों को खेत खाली करने में परेशानी का सामना करना पड़ा था। उसके चलते बड़े क्षेत्रफल पर अभी तक बोआई नहीं हो पाई है।

ज्यादा लगेगा बीज

कृषि विशेषज्ञों ने देरी से गेहूं की बोआई करने पर बीज की ज्यादा मात्रा लगाने की सलाह दी है। तापमान कम हो जाने से बीज का अंकुरण प्रभावित होता है। इससे काफी बीज नहीं जम पाता है। विशेषज्ञों ने किसानों को 25 प्रतिशत ज्यादा बीच लगाने का परामर्श दिया है। अब एक एकड़ में 50 किग्रा गेहूं का बीज प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही उर्वरक की मात्रा भी बढ़ाने की सलाह दी गई है। किसानों को अब नोइट्रोजन, फास्फोरस और पोटास 60:24:12 के अनुपात में प्रयोग करने को कहा गया है। इसके लिए एक एकड़ में 50 किग्रा डीएपी और 110 किग्रा यूरिया का प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही बायोफर्टीलाइजर का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। इसके लिए 250 ग्राम एनोवेक्टर और 25 एमएल पीएसबी का प्रयोग 50 लीटर पानी में मिलाकर करें।

बीज को करें उपचारित

कृषि विशेषज्ञ डा. देवेंद्र कुहाड़ नग बताया कि पछेती बोआई के लिए खास सावधानी की जरूरत है। इसके लिए बीज को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह को बोआई से पहले बीज को दो घंटे के लिए छाया में सुखा लें। बीज को 60 एमएल क्लोरोपायरीफास और दो एमएल कार्बोक्सिन प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से मिलाकर प्रयोग करें। इससे गेहूं में बीमारी कम लगेंगी। जमाव अच्छा होगा, जिसका लाभ पैदावार में मिलेगा। इसके साथ ही गेहूं की बोआई के तत्काल बाद दो लीटर पैडीमैथालिन और 60 ग्राम पायरोक्सा सल्फोन को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर दें।

देरी से बोई जाने वाली गेहूं की प्रजाति

- डब्ल्यूएच 1021

- डब्ल्यूएच 1124

- राज 3665

- डीबीडब्ल्यू 107

- डीबीडब्ल्यू 173

- एसडी 3059

पछेती बोआई में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करें और वैज्ञानिक विधि से ही खेती करें। लापरवाही करने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। किसी भी जानकारी के लिए विभाग के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर लें।

- डा. अनिल सहरावत, उप निदेशक कृषि, सोनीपत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.