घर के बीच से खिच गई दो प्रदेशों की सीमा रेखा, अब इधर हरियाणा उधर पंजाब
1966 में दो प्रदेशों में ही नहीं बल्कि घरों के बीच हरियाणा-पंजाब क
संवाद सहयोगी, डबवाली : 1966 में दो प्रदेशों में ही नहीं, बल्कि घरों के बीच हरियाणा-पंजाब की सीमा रेखा खिच गई। पढ़ने या सुनने में बेशक हैरानी हो, लेकिन यह बिल्कुल सच है। आइए आपको ले चलते हैं बादल-देवीलाल के गढ़ में। जिला सिरसा के शहर डबवाली के वार्ड नं. 2 की अंतिम गली में दो प्रदेशों की सीमाओं का आंकलन करना आसान कार्य नहीं। लोग ही बताते हैं कि आपके दोनों कदमों के बीच सीमा रेखा है। गली में रहने वाले धीरज कुमार (45) बताते हैं कि उनके पिता पूर्ण चंद ने संयुक्त पंजाब में घर बनाया था। हरियाणा बनने के बाद घर दो भागों में बंट गया। पंजाब में बड़ा भाई अशेाक रहता है। जबकि हरियाणा में आए हिस्से में मैं रहता हूं। मेरी वोट हरियाणा में बनी है, जबकि भाई के परिवार की वोट पंजाब में बनी है। पंजाब के बिजली बिल में आज भी डबवाली का नाम हरियाणा से सटी पंजाब की पहली गली में रहने वाले रिटायर्ड बैंक अधिकारी बहादर सिंह कूका बताते हैं कि परिवार संयुक्त पंजाब में रहता था। 1959-60 में कुछ जमीन खरीदी। 1966 में ऐसा दौर आया, जब हरियाणा प्रदेश बन गया। दोनों प्रदेशों में सीमाएं तय हुई। पंजाबी बहुल्य इलाका पंजाब तथा हिदी भाषी इलाका हरियाणा मांगने लगा। उस समय बादल तथा देवीलाल परिवार ने सीमाएं तय करने में भूमिका निभाई। उस समय मुक्तसर तहसील होती थी, गांव किलियांवाली को उससे जोड़ दिया गया, तो वहीं डबवाली को सिरसा से। हमारी जमीन पंजाब में आ गई। वोट हरियाणा में बने रहे। हमारे घरों में पंजाब सरकार जो बिजली बिल भेजती है, उस पर डबवाली सबडिविजन लिखा आता है। पंजाब बिजली निगम के रिकॉर्ड में तो आज भी सबडिविजन डबवाली लिखा जाता है।