पेट्रोल पंप संचालकों से पूछताछ करने से घबरा रही एसआइटी
संवाद सहयोगी डबवाली। गिफ्ट कार्ड के खेल की जांच कर रही एसआइटी पर सवाल उठाना लाजिमी ह
संवाद सहयोगी, डबवाली।
गिफ्ट कार्ड के खेल की जांच कर रही एसआइटी पर सवाल उठाना लाजिमी है। चूंकि डबवाली निवासी अरविद मोंगा उर्फ शिम्पा से पूछताछ के दौरान एसआइटी के हाथ अहम सुराग लगे थे। शिम्पा ने कबूल किया था कि वह करोल बाग दिल्ली स्थित गफ्फार मार्केट से गिफ्ट कार्ड खरीदकर लाता था। उन गिफ्ट कार्ड को तैयार की गई फर्जी आइडी से पेट्रोल पंपों के खातों में क्यूआर कोड के माध्यम से ट्रांसफर कर देता था। जो नकद पेट्रोल की बिक्री होती थी, उसको वह इकट्ठा करके गिफ्ट कार्ड खरीद लाता था। जिसमें उसका एक फीसद कमीशन होता था। इसके बाद कई पेट्रोल पंप वाले उसके साथ सीधा गिफ्ट कार्ड खरीदने लगे थे, वे खुद ही फर्जी आइडी से खातों में ट्रांसफर करवाने लगे थे। मोंगा के कबूलनामे से साफ जाहिर होता है कि करोड़ों रुपये के घोटाले में पेट्रोल पंपों की बड़ी भूमिका थी। खुद शिकायतकर्ता योगेश जैन भी जांच के तरीके से हतप्रभ है। संभावना जताई जा रही है कि मामला किसी बड़े अधिकारी को सौंपा जा सकता है। डबवाली में बना ली कोठियां
बेशक एसआइटी को मालूम नहीं कि बड़े घोटाले में कौन-कौन लोग शामिल हैं। लेकिन घोटाला करने वालों को जरूर मालूम है कि एसआइटी क्या कर रही है? जांच का विषय है कि एसआइटी जांच को सीमित करते हुए बात करने से घबरा रही है तो वहीं आरोपितों के पास जांच की बात कैसे पहुंच रही है। पता चला है कि घोटाले में शामिल डबवाली के कई लोगों ने काले धन से कोठियां खड़ी कर दी हैं। अब ये लोग अंडरग्राऊंड हो रहे हैं। जांच के संबंध में मैं कुछ नहीं बता सकता। यह हमारा सीक्रेट मामला है। ऐसे किसी का नाम लेने से उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए नोटिस जारी किए गए हैं। कितने लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, इसकी जानकारी नहीं दे सकता।
-एएसआई प्रहलाद राय, जांच अधिकारी