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धार्मिक समागम समाज कल्याण के लिए होते हैं: लोगोंवाल

गांव तिलोकेवाला के श्री गुरुद्वारा निर्मलसर साहिब में संत बाबा मोहन ¨स

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 04:45 PM (IST)
धार्मिक समागम समाज कल्याण के लिए होते हैं: लोगोंवाल
धार्मिक समागम समाज कल्याण के लिए होते हैं: लोगोंवाल

संवाद सहयोगी, कालांवाली :

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गांव तिलोकेवाला के श्री गुरुद्वारा निर्मलसर साहिब में संत बाबा मोहन ¨सह मतवाला की 27वीं पुण्यतिथि गुरु नानक देव के 550 साला अवतार दिवस को समर्पित की गई है। इस मौके पर 175 श्री अखंड पाठों व संत गुरमत समागम व संतों के दीवान सजाए गए।

कार्यक्रम के आयोजक गद्दीनशीन संत बाबा गुरमीत ¨सह ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब के महानतम विचारों की तुलना किसी अन्य ग्रंथों से व किसी व्यक्ति से नहीं की जा सकती। इस ग्रंथ में सिखों के दसों गुरुओं का स्वरूप बसा हुआ है जो सीधे सचखंड के साथ जोड़ने का काम करता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान की राजनीति ने सिख कौम को बहका दिया है। इसलिए यह सम्मान सिख संगत द्वारा कायम रहेगा।

एसजीपीसी अमृतसर प्रधान गो¨बद ¨सह लोगोंवाल ने कहा कि धार्मिक समागम समाज कल्याण के लिए आयोजित होते हैं, जिससे व्यक्ति अपने स्वार्थी स्वभाव को छोड़कर एक दूसरे से मिलजुल कर धार्मिक प्रवृति को ग्रहण करता है। उन्होनें कहा कि हमें संत महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। समागम को श्री अकाल तख्त से ज्ञानी हरप्रीत ¨सह ने संबोधित करते हुए कहा कि बाबा मोहन ¨सह मतवाला ने अपना सारा जीवन गुरबाणी व संगतों की सेवा में लगाया है। जिन्होंने अपने तप के द्वारा इस स्थान को एक पवित्र स्थान बनाया। समागम में ¨सह साहब ज्ञानी इकबाल ¨सह पटना साहिब, ¨सह साहब ज्ञानी गुरबचन ¨सह साबका जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब, हजूरी रागी श्री दरबार साहिब राय ¨सह, कथावाचक ज्ञानी जस¨वद्र ¨सह सहूर, मंजीसाहिब श्री अमृतसर उपस्थित हुए।

समागम में पहुंचे संत महापुरुषों व रागी जत्थों को संत बाबा गुरमीत ¨सह तिलोकेवाला ने सिरोपा भेंटकर व श्रीसाहिब देकर सम्मानित किया। श्रद्धालुओं ने श्री गुरग्रंथ के समक्ष माथा टेका व आशीर्वाद लिया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में पंज स्नान किया। इस मौके पर विधायक बलकौर ¨सह, उपायुक्त प्रभजोत ¨सह, बाबा बूटा ¨सह, बलदेव ¨सह कायमपुरी, बाबा जगतार ¨सह, बाबा नरेंद्र ¨सह हंसपुर, बाबा प्रीतम ¨सह मलड़ी, बाबा दर्शन ¨सह दादू, बाबा छोटा ¨सह बूंगा, बाबा कुंदन ¨सह, बाबा मेजर ¨सह देसूखुर्द, बाबा गुलजार ¨सह, बाबा अवतार ¨सह बूंगा आदि उपस्थित थे।


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