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Ram Rahim के गुरु शाह सतनाम का परिवार बोला- छत्रपति की फैमिली को मिला इंसाफ

राम रहीम के गुरु संत शाह सतनाम सिंह के परिवार ने कहा है कि सीबीआइ कोर्ट के निर्णय से रामचंद्र छत्रप‍ति के परिवार को इंसाफ मिला है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 02:45 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 09:11 AM (IST)
Ram Rahim के गुरु शाह सतनाम का परिवार बोला- छत्रपति की फैमिली को मिला इंसाफ
Ram Rahim के गुरु शाह सतनाम का परिवार बोला- छत्रपति की फैमिली को मिला इंसाफ

सिरसा, जेएनएन। डेरा सच्‍चा सौदा गुरमीत राम रहीम के गुरु संत शाह सतनाम सिंह के परिवार ने कहा है कि रामचंद्र छत्रपति के परिवार को इंसाफ मिला है। छत्रपति के परिवार को 16 साल के संघर्ष के बाद न्‍याय मिला है। शाह सतनाम का परिवार वर्षों से डेरा में नहीं रह रहा है। शाह सतनाम के परिवार ने वर्षों पहले डेरा सच्‍चा सौदा से दूरी बना ली थी।

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पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा गुरमीत राम रहीम को Ram Rahim को छत्रपति हत्‍या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद शाह संतनाम के पोते भूपेंद्र सिंह और अन्‍य परिजनों ने प्रतिक्रिया दी। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाए जाने से रामचंद्र छत्रपति के परिवार को न्‍याय मिला है। छत्रपति परिवार इंसाफ के लिए बहुत लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा था। 16 सालों का संघर्ष कम नहीं होता। पीडि़त पक्ष को न्याय मिला है।

संत शाह सतनाम सिंह के साथ गुरमीत राम रहीम। (फाइल फोटो)

बता दें कि गुरमीत राम रहीम को संत शाह सतनाम ने अपना वारिस घोषित किया था। संत शाह सतनाम सिंह का परिवार पहले डेरा सच्चा सौदा में रहता था। बाद में परिवार वहां से चला गया था। कई सालों से परिवार यहां नहीं आ रहा है तथा ओढ़ां क्षेत्र के गांव जलालआना में रह रहा है। पहले सतनाम सिंह के पारिवारिक सदस्य डेरा में आते थे और हर कार्यक्रम में अग्रणी रहते थे। पिछले 10 साल से उन्होंने डेरा से दूरियां बना ली थी।

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16 साल बाद मिला इंसाफ: आरके सेठी

छत्रपति हत्याकांड में सीबीआइ गवाह पत्रकार आरके सेठी ने कोर्ट के फैसले के बाद फतेहाबाद में कहा, सब-कुछ दांव पर लगा कर सच की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने वाले सभी साथियों का धन्यवाद। देर से ही सही, कोर्ट ने हत्यारे डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को सजा दी। नम आंखों से न्यायपालिका के फैसले का स्वागत है। उन सबको साधुवाद जिन्होंने इस लड़ाई में हमारा साथ दिया।

उन्‍होंने कहा, हम सबकी प्रेरणा शहीद साथी पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने इस Ram Rahim जैसी ताकत के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई शुरू की और अपनी शहादत दी। अब न्यायपालिका ने अपना काम कर हमें हौसले से भर दिया है। 16 सालों मे हम सब  ने जो सहा, इस फैसले के बाद बौना नजर आता है।

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डेरा और विवादों का नाता

-1998 में गांव बेगू का एक बच्चा डेरा की जीप से कुचला गया। ग्रामीणों के साथ डेरा का विवाद हो गया। घटना का समाचार प्रकाशित करने वाले समाचारपत्रों के नुमाइंदों को धमकाया गया।

- मई 2002 में गुरमीत राम रहीम पर यौन शोषण के आरोप लगाते हुए डेरा की एक साध्वी द्वारा गुमनाम पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया। इसकी एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई।

- 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत का मर्डर हुआ। आरोप डेरा सच्चा सौदा पर लगे। डेरा प्रबंधकों को शक था कि उक्त गुमनाम चिठ्ठी उसने अपनी बहन से ही लिखवाई है। रणजीत की बहन भी डेरा में साध्वी थी। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआइ जांच की मांग की।

- 24 सितंबर 2002 को हाईकोर्ट ने साध्वी यौन शोषण मामले में गुमनाम पत्र का संज्ञान लेते हुए डेरा सच्चा सौदा की सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

- 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक पूरा सच के संपादक रामचन्द्र छत्रपति पर कातिलाना हमला किया गया। छत्रपति को घर के बाहर बुलाकर पांच गोलियां मारी गईं।

- 21 नवंबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई।

- दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच सीबीआइ से करवाए जाने की मांग की।

- जनवरी 2003 में पत्रकार छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर छत्रपति प्रकरण की सीबीआइ जांच करवाए जाने की मांग की। याचिका में गुरमीत पर हत्या किए जाने का आरोप लगाया गया। उच्च न्यायालय ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामलों की सुनवाई करते हुए 10 नवंबर 2003 को हाईकोर्ट ने सीबीआइ को एफआइआर दर्ज कर जांच के आदेश जारी किए।

- दिसंबर 2003 में सीबीआइ ने छत्रपति व रणजीत हत्याकांड में जांच शुरू की

- 9 दिसंबर 2003 में डेरा के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका पर जांच को स्टे कर दिया।

- नवंबर 2004 में दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने डेरा की याचिका को खारिज कर दिया और सीबीआई जांच जारी रखने के आदेश दिए।

- सीबीआइ ने पुन: उक्त मामलों में जांच शुरू कर डेरा प्रमुख सहित कई अन्य लोगों को आरोपी बनाया।

- मई 2007 में डेरा सलावतपुरा (बङ्क्षठडा, पंजाब) में डेरा प्रमुख गुरमीत ङ्क्षसह ने सिख गुरु गुरुगोङ्क्षबद ङ्क्षसह जैसी वेशभूषा धारण करने पर सिख संगठनों ने विरोध जताया।

-13 मई 2007 को सिखों ने गुरु गोङ्क्षबद ङ्क्षसह की नकल किए जाने के विरोध स्वरूप बङ्क्षठडा में डेरा प्रमुख का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारी सिखों पर डेरा प्रेमियों ने हमला बोल दिया, जिसके बाद 14 मई 2007 को पूरे उत्तर भारत में ङ्क्षहसक घटनाएं हुई। सिखों व डेरा प्रेमियों के बीच जगह-जगह टकराव हुए।

-17 मई 2007 को प्रदर्शन कर रहे सिखों पर सुनाम में डेरा प्रेमी ने गोली चलाई, जिसमें सिख युवक कोमल ङ्क्षसह की मौत हो गई, जिसके बाद सिख जत्थेबंदियों ने डेरा प्रमुख की गिरफ्तारी को लेकर आंदोलन किया। पंजाब में डेरा प्रमुख के जाने पर पाबंदी लग गई।

-16 जुलाई 2007 को सिरसा के गांव घुक्कांवाली में प्रशासनिक पाबंदी के बावजूद डेरा सच्चा सौदा ने नामचर्चा रखी। नामचर्चा में डेरा प्रमुख काफिले सहित शामिल होने के लिए पहुंचा। सिखों ने काफिले को काले झंडे दिखाए। इस बात से दोनों पक्षों में टकराव शुरू हो गया।

- 24 जुलाई 2007 को सिरसा जिला के गांव मल्लेवाला में नामचर्चा से विवाद उपजा।

- 31 जुलाई 2007 को सीबीआइ ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआइ ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख को मुख्य आरोपी बनाया। न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया।

- डेरा प्रमुख गुरमीत ने खुद को जान का खतरा बताकर सरकार से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त की और अदालत से इसी खतरे का हवाला देकर पेशी से नियमित छूट दिए जाने की मांग कर डाली।

- वर्ष 2010 में डेरा के ही पूर्व साधु राम कुमार बिश्नोई ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा के पूर्व मैनेजर फकीर चंद की गुमशुदगी की सीबीआइ जांच मांगी। इस मामले में भी उच्च न्यायालय ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए।

- दिसंबर 2012 में सिरसा में डेरा सच्चा सौदा की नामचर्चा को लेकर एक बार फिर सिख व प्रेमी आमने सामने हुए। 

- फतेहाबाद जिला के कस्बा टोहाना के रहने वाले हंसराज चौहान (पूर्व डेरा साधु) ने 17 जुलाई 2012 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख पर डेरा के 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के आरोप लगाया था।


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