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..अब हर रोज खुलती है अस्पताल की यह खिड़की

पर्यावरण संरक्षण - दंत चिकित्सक राहुल गर्ग ने गंदगी वाली जगह पर बना दिया पार्क डीडी गोयल

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 05:04 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 05:04 AM (IST)
..अब हर रोज खुलती है अस्पताल की यह खिड़की
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पर्यावरण संरक्षण

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- दंत चिकित्सक राहुल गर्ग ने गंदगी वाली जगह पर बना दिया पार्क

डीडी गोयल, डबवाली : जनवरी 2019 की बात है। जब उपमंडल नागरिक अस्पताल को 100 बेड के अस्पताल का दर्जा मिला। डाक्टरों को नए ओपीडी रूम मिले। पहला दिन था, जब दंत चिकित्सक राहुल गर्ग ने रूम की खिड़की खोली तो बदबू आई। मरीज नाक सिकोड़ कर बाहर जाने लगे। बदबूदार माहौल में जीना दूभर हो गया, तो डाक्टर ने परिवर्तन की ठानी। ओपीडी के बाद कमरे के पीछे पहुंच गए। देखा कि राह चलते लोग अस्पताल में गंदगी से भरे लिफाफे फेंक रहे हैं। अस्पताल की चहारदीवारी के भीतर गंदगी का ढेर लगा हुआ है।

डा. राहुल गर्ग ने यहां पार्क बनाने के प्रयास शुरू किया, करीब 3 ट्रॉली कचरा उठाया। झाडि़यों को हटाकर जगह समतल कर दी। मार्च 2020 में कोविड शुरू हुआ तो ओपीडी बंद हो गई। समय का सदुपयोग करके गंदगी वाली जगह पर घास लगा दी। पार्क में फल और औषधि पौधे रोपित करके पार्क विकसित हो गया। अब डाक्टर राहुल के कमरे की खिड़की खुली रहती है।

------------- कनाल भर भूमि में है पार्क

डा. राहुल गर्ग का बनाया पार्क करीब एक कनाल भूमि में है। जामुन, अमरूद जैसे फल वाले पौधे लगाए हैं तो बेलगिरी जैसा औषधिय पौधे लगे हैं। चंपा, दो रुपा, बर्फ, लाजी स्टेनिया जैसे पौधों से पार्क भरा पड़ा है। अस्पताल में माली के पद पर कार्यरत सुनील तथा अमनदीप इसे संवारते रहते हैं। उनकी देखरेख में पार्क फल-फूल रहा है। नंदीशाला डबवाली से खाद लाकर पौधों में डाली जाती है। ------------- ताकि बालपन रहे बरकरार

दंत चिकित्सक पार्क में बहुत कुछ करना चाहते हैं। छह-सात माह के प्रयास से पक्षियों की चहचहाट सुनाई देने लगी है तो वहीं बच्चे बालपन का अहसास करवाने लगे हैं। बालपन में रोचकता का समावेश हो, इसलिए चिकित्सक झूले लगाना चाहते हैं। ताकि आवासीय कालोनी में रहने वाले बच्चे हमेशा मोबाइल से चिपके न रहें। पार्क में खूब मौज मस्ती करें। ------------- एसएमओ एमके भादू, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के सहयोग से पार्क डिवेल्प करने में सफल रहा हूं। अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। अगला पड़ाव बच्चों के लिए झूले लगाने का है। चूंकि पार्क की सुंदरता बच्चों से हैं। पर्यावरण परिवर्तन की वजह मेरे कमरे की खिड़की बनी है।

-राहुल गर्ग, दंत चिकित्सक, उपमंडल नागरिक अस्पताल, डबवाली।


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