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प्री टर्म व लो बर्थ शिशुओं के लिए वरदान बना निक्कू वार्ड व कंगारू मदर यूनिट

सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही अव्यवस्था लापरवाही की तस्वीर दिमाग

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 09:11 PM (IST)
प्री टर्म व लो बर्थ शिशुओं के लिए वरदान बना निक्कू वार्ड व कंगारू मदर यूनिट
प्री टर्म व लो बर्थ शिशुओं के लिए वरदान बना निक्कू वार्ड व कंगारू मदर यूनिट

जागरण संवाददाता, सिरसा : सरकारी अस्पताल का नाम सुनते ही अव्यवस्था, लापरवाही की तस्वीर दिमाग में आती है परंतु अब काफी हद तक तस्वीर बदल गई है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण नागरिक अस्पताल सिरसा में स्थापित निक्कू वार्ड व कंगारू मदर यूनिट है जहां प्रसव काल के समय से पूर्व जन्में बच्चों को जीवनदान दिया जाता है। निक्कू वार्ड में अप्रैल 2020 से लेकर मार्च 2021 तक 1247 नवजात शिशुओं का इलाज हुआ है वहीं कंगारू यूनिट में इस अवधि में 647 शिशु व उनकी मां भर्ती रही हैं। औसत हर महीने 120 शिशुओं का उपचार यहां होता है। इस साल में एक किलो वजन से भी कम दस शिशुओं का सफलता पूर्वक इलाज किया जा चुका है। वर्तमान में निक्कू वार्ड में 28 तथा कंगारू यूनिट में 17 शिशु एडमिट है।

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निक्कू वार्ड अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जिसमें 16 वार्मर, फोटो थैरेपी एलइडी 10, मानीटर आठ, पेरा मानीटर 10, इंफ्यूजन पंप 16, क्रेडल ट्राली आठ, सक्षम मशीन तथा सेंट्रेलाइज्ड आक्सीजन सप्लाई यूनिट है। निक्कू वार्ड में मुख्यत: उन नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है जो प्री टर्म यानि प्रसव काल के समय से पहले जन्में हो अथवा लो बर्थ वेट यानि जिनका वजन कम हो। इसके साथ ही पीलिया पीड़ित बच्चों को भी एडमिट किया जाता है। निक्कू वार्ड में सिर्फ नवजात शिशु की ही एंट्री होती है।

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कंगारू मदर यूनिट, जहां प्री टर्म शिशु को छाती से लगाकर रखती है जच्चा

नागरिक अस्पताल में स्थापित कंगारू मदर यूनिट में गर्भ के छठे, सातवें अथवा आठवें महीने में जन्में बच्चों को भर्ती किया जाता है। यहां उनकी माताओं के लिए भी प्रबंध रहता है। विशेष तरह का गाउन महिलाओं को दिया जाता है, जिनमें वे बच्चे को रखकर छाती से चिपका कर बेड पर सोई रहती है। शिशु को अहसास होता है कि वह गर्भ में है। नवजात शिशु के लिए मां का दूध निकाल कर उसे पीतल के दीये की सहायता से पिलाया जाता है। इस वार्ड में पुरुषों की एंट्री नहीं होती। महिलाएं खाना भी बाहर ही खाती है।

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प्री टर्म व लो बर्थ नवजात शिशुओं के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में भारी भरकम खर्च होता है। स्वस्थ बच्चे का औसत वजन करीब ढाई किलो होता है वहीं प्री टर्म बच्चे का वजन एक किलो के करीब रहता है। नर्सरी में रखने का रोजाना का करीब पांच हजार रुपये तक खर्चा होता है। सात, आठ महीने के व लो बर्थ शिशु पर लाखों रुपये खर्च आ जाता है जबकि नागरिक अस्पताल में यह सुविधा फ्री है। प्रसूता महिला को भोजन, दलिया, दूध इत्यादि भी फ्री दिया जाता है।

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हमारा लक्ष्य रहता है कि निक्कू वार्ड व कंगारू यूनिट में आने वाले शिशुओं को बेहतर उपचार मिले। पूरी टीम इसके लिए लगी रहती है। दस शिशु ऐसे भी आएं हैं, जिनका वजन 800 ग्राम से लेकर एक किलो तक ही था। कंगारू यूनिट में रखकर उन्हें बेहतर इलाज दिया और उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ।

- डा. विजय पाल यादव, शिशु रोग विशेषज्ञ।


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