600 रुपये कम दाम पर हाथों हाथ बिक रही सरसों
संवाद सहयोगी, डबवाली : बेशक सरकार ने सरसों का मूल्य 4000 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। ल
संवाद सहयोगी, डबवाली : बेशक सरकार ने सरसों का मूल्य 4000 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। लेकिन किसान 3400-3600 रुपये प्रति ¨क्वटल के भाव में सरसों आढ़ती को बेचने को मजबूर है। इसके लिए किसान सरकार के सिस्टम को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। किसानों का कहना है कि समय पर सरसों की खरीद नहीं हो रही है।
गांव गोरीवाला के किसान विनोद कुमार ने बताया कि उसने डेढ़ एकड़ की सरसों बेचनी थी। जमीन के कई खाते होने के कारण वह सरकारी के नियमों में उलझ जाता। अगर वह कागजात जुटा लेता तो मंडी में उसे कई दिन बैठे रहना था, इस वजह से उसे 3400 रुपये प्रति ¨क्वटल के भाव से आढ़ती को सरसों बेचनी पड़ी। गांव गंगा के किसान गुरसेवक ¨सह का कहना है कि नियमों से परेशान होकर उसने 2 एकड़ में सरसों को 3600 रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से आढ़ती को बेच दिया।
राष्ट्रीय किसान संगठन के प्रदेशाध्यक्ष जसवीर ¨सह भाटी के अनुसार उन्होंने 16 एकड़ में सरसों की थी। करीब 160 ¨क्वटल सरसों की पैदावार हुई है। अब वे तीन सांझे खातों में 65 ¨क्वटल बेच चुके हैं। सरकारी रेट पर सरसों बेचने के लिए एक माह बाद उनका नंबर आएगा। उस समय वह इतनी ही सरसों बेच सकेंगे। शेष सरसों को आढ़ती को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग नहीं खरीद रहा सरसों
सोमवार को किसान राष्ट्रीय किसान संगठन के बैनर तले लघुसचिवालय में इक्ट्ठे हुए। किसानों के अनुसार खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को हरियाणा की मंडियों में सरसों खरीदने के आदेश जारी किए हैं। पिछले दस दिनों में एक भी दाना सरसों नहीं खरीदी गई। नियम काफी कठोर हैं। किसानों के अनुसार ऐसी स्थिति में आढ़ती फायदा उठा रहे हैं। इस अवसर पर ख्याली राम, लीलाधर बलिहारा, देवेंद्र, रामस्वरुप गोरीवाला, नत्था ¨सह सिधू, शिवचरण ¨सह, जयदयाल मेहता, रामसरुप, दीनानाथ, बलराम गोरीवाला, हरपाल ¨सह, गुरमीत ¨सह मौजूद थे।