हर जिदगी अनमोल है, बात करने से कम होगा अवसाद : डा. अमनदीप
नागरिक अस्पताल स्थित एनएनएम प्रशिक्षण स्कूल में स्वास्थ्य विभाग सिरसा के द्वारा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विश्व
जागरण संवाददाता, सिरसा :
नागरिक अस्पताल स्थित एनएनएम प्रशिक्षण स्कूल में स्वास्थ्य विभाग सिरसा के द्वारा जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विश्व आत्महत्या रोकथाम जागरूकता शिविर लगाया गया। इस शिविर की अध्यक्षता मनोरोग विशेषज्ञय डा. अमनदीप के द्वारा की गई। उन्होंने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य विश्व में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है। अक्सर बदलती लाइफस्टाइल और खुद के लिए समय की कमी, लोगों में अवसाद का कारण बन रही है। पूरे दिन व्यस्त शेड्यूल में मिल रहा स्ट्रेस लोगों में कई तरह के बदलाव लाता है। कई बार बढ़ते अवसाद के कारण भी लोग आत्महत्या कर लेते हैं।
बढ़ रही है घटनाएं
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में खुदकुशी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। प्रत्येक वर्ष लगभग आठ लाख से अधिक लोग अलग-अलग कारणों के चलते मौत को गले लगा लेते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज के समय में लोग किस हद तक मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं।
ये है आत्म हत्या के कारण
उन्होंने बताया कि जब कोई भी इंसान मानसिक तनाव से जूझ रहा होता है तो उसके व्यवहार में पहले की अपेक्षा कुछ बदलाव देखने को मिल जाते हैं। देखा जाये तो ऐसे लोग और लोगों से दूरी बना लेते हैं। खासकर अकेलेपन के साथी हो जाते है। ये ना ही किसी चहल-पहल वातावरण में, ये अकेले रहना पसंद करते हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा, इसका एक उदाहरण हो सकता है।
उन्होंने बताया कि कई कारणों की वजह से बच्चे तनाव से ग्रस्त हो सकते हैं। जिसकी वजह से बच्चों को गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। उनकी परेशानियों के कई संकेत हो सकते हैं जैसे कि उन्हें सोने और खाने में कठिनाई महसूस होने लगे, बार-बार बुरे सपने दिखाई दें या बिना शारीरिक कारण के पेट में दर्द या सिरदर्द की शिकायत होने लगे। अगर बच्चा अकेले रहने से डरता है या खेलने और खेलकूद वाली गतिविधियों में शामिल होने में रुचि कम रखता है तो हो सकता है कि वो किसी बात से परेशान हो और उसे मदद की जरूरत हो। बच्चे का उदास रहना और सामान्य से अधिक रोना या बिना किसी स्पष्ट कारण के रोना मानसिक बीमारियों के खतरे की निशानी है। ऐसे में आपको बहुत प्यार से उसकी मदद करनी होगी। ऐसे कर सकते हैं बचाव
उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच रहें। अगर घर में कोई सदस्य इस समस्या से जूझ रहा है तो उस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया ना दें। परिवार के साथ बैठकर परेशानी का हल निकालें। गुस्से पर काबू रखें, अपने आप को खुश रखने की कोशिश करें। इस अवसर पर मूल्यांकन एंव निगरानी अधिकारी विक्रम सोनी, क्लीनिकल साक्लोजिस्ट कृतिका सैनी, संदीप कुमार, हरमीत कौर, गौरव मौजूद रहे।