अंशुल छत्रपति का बड़ा बयान, कहा- गुरमीत को बचाने के लिए पर्दे के पीछे बहुत खेल हुए
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल ने बड़ा बयान दिया है। अंशुल ने कहा है कि गुरमीत को बचाने के लिए पर्दे के पीछे बड़ा खेल चला।
सिरसा, [सुधीर आर्य]। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के शिकार हुए पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने पूरे मामले को लेकर सनसनीखेज बयान दिया है। अंशुल ने पिता को न्याय दिलाने और हत्यारे गुरमीत राम रहीम को सजा दिलाने के लिए किए गए संघर्ष की चर्चा करते हुए बड़ा सवाल उठाया। अंशुल ने कहा कि गुरमीत राम रहीम को बचाने लिए पर्दे के पीछे बहुत खेल हुए। सत्ता पर काबिज लोग वोट बैंक के चलते डेरे से दबे रहे।
वोट बैंक से दबे राजनेता नहीं बोल पाए सच की बात, गुरमीत को बचाने की कोश्ािश में लगे रहे
अंशुल ने खास बातचीत में कहा कि गुरमीत के खिलाफ 16 साल के संघर्ष के दौरान बहुत अधिक दबाव का सामना करना पड़ा। पर्दे के पीछे गुरमीत को बचाने के लिए खूब खेल चले। इस दौरान जिस पार्टी की भी सरकार रही, उसके नेताओं ने गुरमीत का बचाने की पूरी कोश्ािश की। यह सब हुआ गुरमीत से जुड़े वोट बैंक के कारण। अंशुल बोले, सच मानिए हमने भी कभी सरकार से उम्मीद नहीं रखी। पग-पग पर हमारे संघर्ष को दबाने का प्रयास हुआ, झुकाने का प्रयास हुआ।
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अंशुल छत्रपति ने कहा, गुरमीत जैसे ताकतवर व्यक्ति के खिलाफ हमारे संघर्ष को दबाने के लिए गोटियां भी फिट की जाने लगीं। पर्दे के पीछे बहुत खेल खेला गया। लेकिन हम न डरे, न विचलित हुए और ताकतवर के खिलाफ लड़ते रहे। आज इसी का नतीजा सामने है। हमारा संघर्ष रंग लाया और हत्यारे गुरमीत राम रहीम को सजा मिली।
सीबीआइ जांच को रोकने और प्रभावित करने की कोशिश हुई, सीबीआइ अधिकारियों तक की रेकी की गई
उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में सभी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। खौफ के दौर में गवाहियां दीं। गवाह डरे नहीं, उन्हें धमकाया गया, ताकत से झुकाने का प्रयास किया गया, लेकिन वे गवाही पर पक्के रहे। इसके बाद डेरे ने सीबीआइ को भी दबाव में लेने का प्रयास किया। गुरमीत ने सीबीआइ की जांच को रोकने और प्रभावित करने के लिए सारे दांव अाजमाए।
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अंशुल ने कहा कि सीबीआइ के अधिकारियों तक को धमकाया गया, उनकी रेकी की गई। आज उनके मन में एक सवाल है क्या एक धार्मिक संस्था का यह सब काम है। सीबीआइ ने बहुत अच्छा काम किया। न्यायपालिका ने भी न्याय दिया है। मैं इस मामले में मीडिया के योगदान को भी नहीं भुला सकता। पिता की शहादत को न्याय कैसे मिले, इसको लेकर उन्होंने संघर्ष सिरसा से शुरू किया और खत्म पंचकूला में हुआ है।