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तहसीलदार को धमकी देने पर कानूनगो निलंबित, डीसी ने ऐलनाबाद एसडीएम ऑफिस में लगाई डयूटी

आरोपित बोला-निजी व्यक्ति को कार्यालय सौंपना चाहता है तहसीलदार

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 06:10 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 06:10 AM (IST)
तहसीलदार को धमकी देने पर कानूनगो निलंबित, डीसी ने ऐलनाबाद एसडीएम ऑफिस में लगाई डयूटी
तहसीलदार को धमकी देने पर कानूनगो निलंबित, डीसी ने ऐलनाबाद एसडीएम ऑफिस में लगाई डयूटी

आरोपित बोला-निजी व्यक्ति को कार्यालय सौंपना चाहता है तहसीलदार, मैंने बात नहीं मानी तो झूठा आरोप लगाया संवाद सहयोगी, डबवाली: तहसीलदार भवनेश कुमार तथा कार्यालय कानूनगो मलकीत सिंह में विवाद सामने आया है। तहसीलदार की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए डीसी प्रदीप कुमार ने कानूनगो को निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि के दौरान कानूनगो ऐलनाबाद स्थित एसडीएम कार्यालय में डयूटी करेगा। वहीं निलंबित कर्मचारी ने तहसीलदार की कार्यप्रणाली को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। ये है मामला

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तहसीलदार ने 10 मई को कार्यालय कानूनगो पर कार्य न करने का आरोप लगाते हुए उपायुक्त को शिकायत भेजी गई थी। शाम करीब साढ़े तीन बजे तहसीलदार ने उपायुक्त को दूसरी शिकायत भेजी। उसने कहा कि उपरोक्त शिकायत के बाद मलकीत सिंह ने उसे जान से मारने की धमकी दी है। डीसी प्रदीप कुमार ने कार्यालय कानूनगो पर तहसीलदार डबवाली को धमकी देने, दु‌र्व्यवहार करने व अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया। एसडीएम ऐलनाबाद की अनुमति के बिना वह मुख्यालय नहीं छोड़ सकता। वहीं इस मसले पर तहसीलदार भवनेश कुमार ने चुप्पी साध ली है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे इस संबंध में अभी कुछ नहीं कह सकते। मेरा पक्ष नहीं सुना गया

निलंबित कर्मचारी मलकीत सिंह के अनुसार अगर कोई किसी को धमकी देता है, तो प्रूफ होता है। मैंने किसी को धमकी दी ही नहीं, तो प्रूफ कैसे हो सकता है। अगर मैं कार्य नहीं करता था तो तहसीलदार को नोटिस जारी करने का हक था, वह भी नहीं किया। मैंने धमकी दी होती तो पुलिस में शिकायत होनी चाहिए थी, वह नहीं की। क्योंकि मैं कहीं गलत हूं ही नहीं। बिना जांच किए मुझे निलंबित कर दिया गया। मुझे पक्ष रखने का मौका देना चाहिए था। इस संबंध में सोमवार को उपायुक्त से मुलाकात करूंगा। 15 अगस्त को सम्मानित हुआ था मलकीत

अगर मैं कार्य के प्रति लापरवाह हूं तो 15 अगस्त 2020 को मुझे सम्मानित क्यों किया गया। सम्मानित होने वालों में मैं तहसील से इकलौता कर्मचारी था। बाईपास सर्जरी होने के बावजूद मैंने कोविड डयूटी की। अब कोविड काल है तो भी लगन से डयूटी कर रहा हूं। हालांकि सरकार की हिदायत अनुसार 55 वर्ष से अधिक आयु या क्रोनिक बीमारी के कारण मैं भी घर बैठ सकता हूं। मामला सेवा का नहीं, बल्कि एक निजी व्यक्ति को कार्यालय सौंपने का है। तहसीलदार मुझ पर दबाव बनाता है कि मैं एक शख्स को कार्यालय सौंप दूं। जिसका कार्यालय से कोई लेना-देना ही नहीं। मैंने ऐसा करने से मना किया तो झूठे आरोप लगाकर मुझे निलंबित किया गया।


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