सरकारी स्कूल में पढ़े जगमिद्र राजधानी में हैं जिला सत्र न्यायाधीश
डबवाली के गांव अबूबशहर की ढाणी गुरुनानक नगर स्थित राजकीय प्राथमि
संवाद सहयोगी, डबवाली : डबवाली के गांव अबूबशहर की ढाणी गुरुनानक नगर स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पढ़े डा. जगमिद्र सिंह जग्गा दिल्ली के द्वारिका जिला न्यायालय में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडिशनल सेशन जज) हैं। उनके पिता शिवतार सिंह किसान हैं, जबकि मां सिमरजीत कौर घरेलू महिला है। बड़ा भाई डा. दविद्र सिंह सिधू डबवाली में निजी अस्पताल चलाता है। परिवार के पास 40 एकड़ जमीन है। हैरानी की बात यह है कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश होते हुए वे किसान हैं। वह पिता, भाई समेत जमीन खुद काश्त करते हैं। कभी भी जमीन ठेके पर नहीं दी। वे यहां किसानों के लिए उदाहरण हैं, तो वहीं उन बच्चों के लिए प्रेरणा हैं, जो सरकारी स्कूलों को कमतर आंकते हैं। उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो जागते हुए सपना देखते हैं, लेकिन उसे पूरा करने के लिए मेहनत करने से पीछे हट जाते हैं। हाईकोर्ट में वकीलों को देखकर प्रभावित हुए थे
प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद डा. जगमिद्र सिंह ने गांव अबूबशहर के राजकीय स्कूल से 10वीं पास की। डबवाली के राजा राम कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से नॉन मेडिकल संकाय में 11वीं तथा 12वीं पास की। 12वीं के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वे अक्सर चंडीगढ़ जाते थे। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में जाने का अवसर मिला तो वहां वकीलों की ड्रेस तथा इज्जत देखकर वैसा बनने का सपना देखा। वे किसी विश्वविद्यालय कैंपस से डिग्री करना चाहते थे। आवेदन किया तो महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) रोहतक में दाखिला मिला। वर्ष 2002 में एलएलबी, वर्ष 2004 में एलएलएम पूरी की। एलएलएम के अंतिम वर्ष में नेट क्वालीफाइ कर किया। फतेहाबाद में सरकारी वकील के तौर पर सेवा की
नेट क्वालीफाइ करने के बाद हरियाणा लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करके सरकारी वकील बने। उन्हें फतेहाबाद में सेवा करने का मौका मिला। बताते हैं कि वर्ष 2008 में दिल्ली न्यायिक सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करके वे महानगर की द्वारिका कोर्ट में जज बने। वर्ष 2019 में तीस हजारी कोर्ट के सीजेएम (चीफ ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट) नियुक्त हुए थे। नवंबर 2020 में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पदोन्नत हुए। एक माह की ट्रेनिग के बाद जनवरी 2021 से द्वारिका जिला अदालत में तैनात हैं। वर्ष 2010 में की पीएचडी
डा. जगमिद्र सिंह को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक है। स्कूल समय में राष्ट्रीय त्योहारों के मौके पर प्रस्तुति देते थे। जज बनने के बाद लेखन कला को नहीं छोड़ा। पंजाबी विरसे पर 50 से ज्यादा रचनाएं लिख चुके हैं। वर्ष 2010 में उन्होंने फेक मैरिज करके विदेश जाने वाले एनआरआइ विषय पर पीएचडी पूर्ण की थी।