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कच्चे कर्मचारियों की प्रताड़ना देख मन हुआ आहत, तो बना उनकी आवाज

विद्युत निगम में लीगल एडवाइजर के पद पर कार्यरत राजेश भाकर जिले के

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:34 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 11:34 AM (IST)
कच्चे कर्मचारियों की प्रताड़ना देख मन हुआ आहत, तो बना उनकी आवाज
कच्चे कर्मचारियों की प्रताड़ना देख मन हुआ आहत, तो बना उनकी आवाज

जागरण संवाददाता, सिरसा : विद्युत निगम में लीगल एडवाइजर के पद पर कार्यरत राजेश भाकर, जिले के चर्चित युवाओं में से हैं। कभी लघु सचिवालय तो कभी जिले के विभिन्न हिस्सों में प्रताड़ित कर्मचारियों की आवाज बन कर प्रशासन तक उनकी मांगे पहुंचाता है। सरकारी नौकरी ज्वाइन की तो देखा कच्चे कर्मचारियों का सभी शोषण कर रहे हैं। कहीं ठेकेदार, कहीं विभागीय अधिकारी तो कहीं प्रशासन। ऐसे में राजेश ने उनके पक्ष में आवाज उठानी शुरू की और उसी का प्रयास है कि वर्तमान में नौकरी से हटाए गए अनेक कच्चे कर्मचारी बहाल हो चुके हैं। कर्मचारियों को अनुभव के आधार पर डीसी रेट वेतन देने की मांग भी सिरे चढ़ने जा रही है।

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मूल रूप से राजस्थान के हनुमानगढ़ क्षेत्र के रहने वाले राजेश भाकर छात्र संगठन एसएफआइ से जुड़े है और जनवादी नौजवान सभा बठिडा के प्रधान भी रहे हैं। वर्तमान में वे सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव है। वे फिलहाल ऐलनाबाद में विद्युत निगम में लीगल एडवाइजर के पद पर है। कर्मचारियों के आंदोलन में अक्सर अग्रिम पंक्ति में दिखाई देने वाले राजेश भाकर का कहना है कि एक कर्मचारी के तौर पर उन्होंने कर्मचारियों के दर्द को नजदीक से जाना है। अक्सर कर्मचारी कई कई महीनों तक बिना वेतन के काम करते रहते हैं। मानदेय के नाम पर नाममात्र वेतन दिया जाता है, इसके बावजूद कर्मचारी जनसेवा का कार्य मानते हुए करते हैं परंतु इसके बाद कभी सरकारें तो कभी ठेकेदार उन्हें प्रताड़ित करते हैं। दुर्घटना होने की स्थिति में कर्मचारी के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। कच्चे कर्मचारियों को अभी भी अनुभव के आधार पर वेतन नहीं मिल रहा। वहीं वेतन पांच साल पुराने कर्मचारी को मिल रहा है और वहीं नए कर्मचारी को। कर्मचारियों को ठेकेदार कभी भी बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। अक्सर कर्मचारियों की इन्हीं मांगों को लेकर संघर्ष करता हूं और बहुत खुशी मिलती है जब कर्मचारियों के हितों में संघर्ष करते हुए उनकी मांगें पूरी हो जाती है।


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