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¨हदी के शब्द गलत लिखते हैं बच्चे, सुधार के लिए एसडीएम दे रहे टिप्स

10 साल तक अंग्रेजी प्राध्यापक के तौर पर कार्य कर चुके एसडीएम सुरेंद्र

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 04:37 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 04:37 PM (IST)
¨हदी के शब्द गलत लिखते हैं बच्चे, सुधार के लिए एसडीएम दे रहे टिप्स
¨हदी के शब्द गलत लिखते हैं बच्चे, सुधार के लिए एसडीएम दे रहे टिप्स

संवाद सहयोगी, डबवाली :

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10 साल तक अंग्रेजी प्राध्यापक के तौर पर कार्य कर चुके एसडीएम सुरेंद्र बैनीवाल अब भी पढ़ाने का कोई मौका नहीं चूकते। देर सवेर वे किसी न किसी स्कूल में पहुंच जाते हैं। बच्चों तथा अध्यापकों के साथ शिक्षा पर चर्चा करते हुए शैक्षणिक स्तर में सुधार लाने के लिए टिप्स देते हैं। डबवाली स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कॉलोनी रोड स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला के साथ-साथ अब उन्होंने शताब्दी पुराने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का रुख किया है। इसके अलावा भी ग्रामीण अंचल के स्कूलों में जाने का मौका मिले तो मौका वहां भी नहीं छोड़ते। उनका कहना है कि वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के बच्चे ¨हदी शब्दों को लिखने में गलतियां कर रहे हैं। शहर के सबसे पुराने सरकारी विद्यालय में जाने का मौका मिला तो वहां कुछ अध्यापक नहीं थे। एसडीएम चुपचाप कक्षा में चले गए। ¨हदी विषय का शब्द आशीर्वाद लिखने के लिए बच्चों को कहा तो श्याम पट्ट पर बच्चों ने गलत लिखा। ¨हदी के बहुत से शब्दों को लिखवाया। बच्चों ने अधिकतर शब्द गलत लिखे। यूं पढ़ाएं बच्चों को

कॉन्वेंट स्कूल में पढ़े एसडीएम सुरेंद्र बैनीवाल लंबे अरसे तक ¨हदी से दूर रहे थे। करीब डेढ़ दशक बाद जब उन्होंने ¨हदी की किताब उठाई तो शब्दों पर जोर दिया। अंग्रेजी की भांति ¨हदी को फोबिया तोड़ दिया। अपने अनुभव को स्कूल प्रबंधकों से साझा कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रत्येक कक्षा के बाहर श्याम पट्ट है। अक्सर जिन शब्दों को लिखने में बच्चे गलती करते हैं, उनको वहां लिखा जाना चाहिए। बच्चा शब्दों को पढ़कर क्लास के भीतर आएगा, बाहर जाते हुए भी पढ़ेगा। ऐसे में शब्द लिखना और समझना आसान हो जाएगा। उसकी त्रुटियां दूर हो जाएंगी। :::::सक्षम के कारण बच्चों का शैक्षणिक स्तर कुछ सुधर हो रहा है। लेकिन अब भी बच्चे ¨हदी के शब्द लिखने में त्रुटियां कर रहे हैं। जोकि होनी नहीं चाहिए। चूंकि एक बार बच्चा जो सीख गया, उसे ही पकड़कर उम्र भर बैठा रहता है। इसलिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। मुझे आज भी अध्यापन का शौक है। इसे स्कूलों में निरीक्षण करके पूरा करता हूं।

-सुरेंद्र बैनीवाल, एसडीएम, डबवाली


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