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हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों पर डाला डाका : महासभा

पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए क्रीमिलेयर मानदंड को लेकर हरियाणा सरकार बार-बार असंवैधानिक अधिसूचनाएं जारी कर पिछड़ा वर्ग के अधिकारों पर डाका डालने का काम कर रही है। इस कारण प्रदेश के पिछड़ा वर्ग में रोष बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 06:06 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 06:06 PM (IST)
हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों पर डाला डाका : महासभा
हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के संवैधानिक अधिकारों पर डाला डाका : महासभा

सिरसा (विज्ञप्ति) : पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के लिए क्रीमिलेयर मानदंड को लेकर हरियाणा सरकार बार-बार असंवैधानिक अधिसूचनाएं जारी कर पिछड़ा वर्ग के अधिकारों पर डाका डालने का काम कर रही है। इस कारण प्रदेश के पिछड़ा वर्ग में रोष बढ़ता जा रहा है। पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष आरसी लिबा ने बताया कि केंद्र व हरियाणा सहित सभी राज्यों में सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी फैसले के अनुरूप भारत सरकार की 1993 की अधिसूचना द्वारा निर्धारित क्रीमिलीयर मानदंड लागू हैं। जिसके अनुसार संवैधानिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति, सीधी भर्ती से क्लास वन अधिकारी, दोनों पति पत्नी क्लास दो अधिकारी, सीधी भर्ती से क्लास दो अधिकारी जो 40 साल से कम उम्र में क्लास वन में प्रोन्नत हो, क्रीमिलेयर की श्रेणी में आता है। जबकि अन्य सभी कर्मचारी, किसान, कुशल श्रमिक, छोटे दुकानदार आदि जिनकी कुल आय 8 लाख (वेतन आय व कृषि आय छोड़कर) से कम हो, वे नान क्रीमिलेयर श्रेणी में आते हैं। लेकिन हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समाप्त करने की नियत से 2016 और फिर 2018 की अधिसूचना द्वारा क्रीमिलेयर मानदंड के लिए सभी स्त्रोतों से प्राप्त कुल वार्षिक आय की सीमा 6 लाख रुपये कर दी जिसमें वेतन आय, किसानों की कृषि आय तथा कुशल श्रमिकों की आय को भी शामिल कर दिया। जिससे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बच्चे भी आरक्षण से वंचित हो गए। हालांकि 2016 एवं 2018 की अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2021 को असंवैधानिक मानते हुए रद कर दिया था। हरियाणा सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक बार फिर केवल आर्थिक आधार पर अधिसूचना जारी कर पिछड़ा वर्ग पर कुठाराघात कर दिया । महासभा प्रवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संवैधानिक बेंच ने इंद्रा साहनी फैसले में स्पष्ट किया कि आरक्षण का आधार सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक आदि है ना कि केवल आर्थिक आधार। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी 2022 को ईडब्ल्यूएस व ओबीसी आरक्षण के बारे भी यही स्पष्ट किया है लेकिन हरियाणा सरकार के लिए शायद सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सरकार कोई मायने नहीं रखते तभी तो वह बार बार असंवैधानिक और गैरकानूनी फरमान जारी कर पिछड़ा वर्ग पर अत्याचार कर रही है।

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