किसान कृषि विविधीकरण अपनाकर बढ़ाएं अपनी आमदनी : उपायुक्त
उपायुक्त अनीश यादव ने किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि वे अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि में विविधीकरण को अपनाएं। ऐसा करके वे जोखिम कारकों को कम कर सकते है क्योंकि कृषि विविधिकरण अपनाने से यदि मौसम फसल के उत्पादन के अनुकूल नहीं रहता है तो भी किसान अपने सभी संसाधनों को नहीं खोते है। चूंकि कई फसलों को एक छोटे से खेत से काटा जा सकता है। इसलिए उत्पादन 10 गुणा तक बढ़ जाता है जिससे पर्याप्त आय सुनिश्चित होती है। कृषि विविधिकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सर्जित होते है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है तथा इससे कीट भी नियंत्रित होते है।
सिरसा (विज्ञप्ति) : उपायुक्त अनीश यादव ने किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि वे अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि में विविधीकरण को अपनाएं। ऐसा करके वे जोखिम कारकों को कम कर सकते है, क्योंकि कृषि विविधिकरण अपनाने से यदि मौसम फसल के उत्पादन के अनुकूल नहीं रहता है तो भी किसान अपने सभी संसाधनों को नहीं खोते है। चूंकि कई फसलों को एक छोटे से खेत से काटा जा सकता है। इसलिए उत्पादन 10 गुणा तक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त आय सुनिश्चित होती है। कृषि विविधिकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सर्जित होते है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है तथा इससे कीट भी नियंत्रित होते है।
उन्होंने कहा कि कृषि विविधीकरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। प्रथम क्षैतिज विविधीकरण के अंतर्गत एक ही फसल की खेती जैसे गेहूं-धान, गेहूं-कपास की बजाय कई फसलों या फसलों के मिश्रण से संबंधित है। जैसे मिश्रित मौसमी सब्जियों की काश्त आदि इस प्रकार का विविधीकरण विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए उपयोगी है।
दूसरे प्रकार वर्टिकल विविधिकरण के तहत कई फसलों के साथ-साथ औद्योगिकीकरण के समावेश को दर्शाता है। इसके अंतर्गत किसान एक और कदम उठाते है और फसल उत्पादन के साथ-साथ उनसे संबंधित औद्योगिकीकरण में भी निवेश करते है जैसे बागवानी विभाग की बात करे तो किसान बागवानी फसलों फल उत्पादन, सब्जी उत्पादन, फूल उत्पादन, खुम्बी उत्पादन, शहद उत्पादन के साथ-साथ इनसे संबंधित छोटे उद्योग धंधे जैसे फल, सब्जी से संबंधित, प्रसंस्करण इकाई जैसे जैम, जैली, मुरब्बा, चटनी, अचार आदि में निवेश करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते है।