चौपटा में कालेज बनने से 52 गांवों की बेटियों को मिलेगा फायदा
बजट से हर कोई उम्मीद लगाए हुए हैं। सरकार की तरफ से पेश होन
जागरण संवाददाता, सिरसा। बजट से हर कोई उम्मीद लगाए हुए हैं। सरकार की तरफ से पेश होने वाले बजट को लेकर आमजन को सुविधा मिले। इसी को लेकर हर कोई बजट पर निगाहें लगाए हुए है। ऐलनाबाद हलका में चौपटा क्षेत्र के अंदर महिला कालेज की लंबे समय से मांग उठ रही है। पैंतालिसा नाम से जाने वाले क्षेत्र में कालेज बनने से 52 गांवों की बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी।
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उच्च शिक्षा हासिल करने में आती है दिक्कतें
चौपटा क्षेत्र के गांव राजस्थान सीमा के पास लगते हैं। यहां पर कालेज की सुविधा नहीं होने पर बेटियों को सिरसा के कालेजों में पढ़ने के लिए आना पड़ता है। यहां से कई गांवों की दूरी 50 किलोमीटर तक पड़ती है। यहां से सिरसा तक जाने के लिए यातायात की भी बेहतर सुविधा नहीं है। अगर चौपटा में कालेज बनाता है तो बेटियां को काफी फायदा मिलेगा। कालेज के लिए कई बार मांग उठाई जा चुकी है।
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चौपटा में कालेज बनाने की कई बार क्षेत्र से मांग उठाई गई है। यहां पर कालेज नहीं होने स्कूली शिक्षा के बाद कई बेटियां अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती है। वहीं सिरसा की अधिक दूरी होने पर बेटियां को दिक्कतें आती है। अगर चौपटा में महिला कालेज बनने से बेटियां उच्च शिक्षा हासिल कर सकेगी।
- निहाल सिंह, पूर्व सरपंच, नाथूसरी कलां।
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गांवों से सिरसा के शिक्षण संस्थानों तक पहुंचने के लिए यातायात की बेहतर सुविधा नहीं है। इससे बेटियों को काफी परेशानी होती है। सरकार बेटियों के लिए 20 किलोमीटर की दूरी में कालेज खोलने की बात कह रही है। अगर चौपटा में कालेज बनता है तो इससे गरीब परिवारों की बेटियों को काफी फायदा मिलेगा।
- श्रवण कुमार, शक्करमंदोरी।
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चौपटा में कालेज बनाने की कई बार मांग उठाई गई है। महिला कालेज बनाने के लिए भाजपा के अध्यक्ष ओपी धनखड़ से तीन दिन पहले मांग पत्र सौंपा गया है। इस बजट में कालेज की डिमांड पूरी होने की उम्मीद है। कालेज बनने से बेटियां को शिक्षा लेने में आसानी होगी।
- विरेंद्र साहु, निवर्तमान चेयरमैन, पंचायत समिति, नाथूसरी चौपटा।
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बेटियां को उच्च शिक्षा के लिए सुविधा मिलनी चाहिए। सिरसा में शिक्षण संस्थानों तक पहुंचने के लिए काफी परेशानी होती है। कई गांवों में बसों की उचित व्यवस्था नहीं है। इसके लिए बेटियां को दिनभर बसों का इंतजार करना पड़ता है। अगर चौपटा में कालेज बनने से काफी फायदा मिलेगा।
- योगेश कुमारी, निवर्तमान सरपंच, लुदेसर। ---------------------------- टेल पर पड़ने वाले गांवों में रहती है पेयजल की समस्या
संवाद सहयोगी, रानियां। रानियां क्षेत्र में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है। टेल पर पड़ने वाले गांवों में काफी दिक्कतें आती है। इस बजट में क्षेत्र के अंदर पेयजल से निजात मिलने की उम्मीद है। ऐसे में शहरवासी इस बजट में वर्षों पुरानी मांगे पूरी होने की उम्मीद लगाए हुए हैं। इसी के साथ आधार में लटके विकास कार्य के भी पूरे होने की उम्मीद है।
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पेयजल की हमेशा समस्या रहती है। गर्मी के दिनों में काफी परेशानी होती है। टेल पर पड़ने वाले गांवों में तो हमेशा बुरा हाल रहता है। बजट के अभाव में राजकीय कन्या कालेज का कार्य अधर में लटका हुआ है। उच्चतर शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग ने भी अतिरिक्त बजट मुहैया करवाने के लिए संबंधित विभाग को लिखा जा चुका है। लेकिन अभी तक इस बजट के लिए अप्रूवल नहीं मिला है।
- राजकुमार, वार्ड नंबर 5
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रानियां शहर में आपूर्ति किए जाने वाला पेयजल सेहत के लिए हानिकारक है। यहां पर नागरिकों को मिल रहे पीने के पानी की जांच अनेक बार करवाई जा चुकी है जिसमें यह पानी के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग ने शहर को नहरी पानी मुहैया करवाने के लिए जगह का चयन किया जा चुका है, जहां पर नया वाटरवर्क्स बनाया जाएगा। ऐसे में इस बजट में उन्हें वाटरवर्क्स के लिए बजट आबंटित होने की उम्मीद है।
- जरनैल सिंह चांदी, आढ़ती अनाज मंडी।
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शहर के मुख्य बाजार में खरीददारी करने के लिए आने वाले परिवारों को गाड़ी को पार्क करने में बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि गाड़ी को बाजारों में या सड़क के किनारे रोका जाए तो यातायात पुलिस द्वारा चालान काट दिया जाता है। इसके अलावा गाड़ी को मेन बाजार में पार्क करने पर यहां पर सारा दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। पार्किंग की समस्या के लिए बजट में कोई घोषणा होनी चाहिए।
- जसवंत सिंह कस्वां, निवासी बालासर।
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रानियां को उपमंडल बनाए जाने की मांग वर्षों से जारी है। प्रशासनिक स्तर पर उपमंडल के गठन की प्रक्रिया काफी बढ़ चुकी है और अनेकों सर्वे भी इस संदर्भ में हो चुके है मगर किन्हीं कारणों के चलते अभी तक उपमंडल की घोषणा अधर में लटकी है। ऐसे में नागरिकों को एसडीएम संबंधी कार्यों के लिए ऐलनाबाद जाना पड़ता है जिसमें समय व पैसा दोनों खर्च होता है।
- अमित मेहता, शिक्षक।