दुष्यंत चौटाला बोले- बिजली कटों से जख्मों पर नमक छिड़क रही सरकार
दुष्यंत चौटाला ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। कहा घरेलू और कृषि क्षेत्र को बिजली सप्लाई में डेढ़ घंटे और दो घंटे का कट लगाकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया गया है।
जेएनएन, सिरसा। इनेलो सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार ने दो नोटिस जारी कर ग्रामीणों को मिलने वाली घरेलू और कृषि क्षेत्र को मिलने वाली बिजली सप्लाई में डेढ़ घंटे और दो घंटे का कट लगाकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेशभर में जितनी भी बड़ी बिजली परियोजनाएं अथवा थर्मल प्लांट है, लगभग पूरी तरह से ठप हैं।
चौटाला हाउस में पत्रकारों से बातचीत में दुष्यंत ने कहा कि वर्ष 2006-07 में कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व तत्कालीन ऊर्जा मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने 1426 मेगावाट बिजली के लिए गुजरात के अडानी ग्रुप से 2.94 रुपये के फिक्स रेट पर आगामी 25 सालों के लिए समझौता किया था। मगर बाद में अडानी ने कोर्ट के चक्कर लगाकर अपने करार में फिक्स रेट से अधिक राशि का लाभ बढ़वा लिया।
फिक्स करार के बाद भी ट्रिब्यूनल के माध्यम से फिर बिजली के रेटों में बढ़ोतरी करवा ली गई जो सीधे तौर पर प्रदेशवासियों के हितों पर कुठाराघात था। अब भाजपा सरकार ने भी चुपके से फिर बिजली के रेटों में 20 पैसे की बढ़ोतरी कर जनता को करंट दिया है। उन्होंने कहा कि अब अंबानी, अडानी जैसी कंपनियों के बाद टाटा जैसे धनाढ्य घराने भी 600 मेगावाट बिजली के लिए ब्लैकमेल करने पर आमादा हैं।
इनेलो सांसद ने कहा कि अभी प्रदेश में बिजली की स्थिति ये है कि केवल 50 फीसद ही बिजली इकाइयों में उत्पादन हो रहा है जो आवश्यकता से कहीं अधिक कम है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि केवल पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला ने ही प्रदेश की बिजली परियोजनाओं का व्यक्तिगत स्तर पर निरीक्षण किया और इकाईयों को बेहतर बनाने की दिशा में आवश्यक दिशानिर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि एक ओर कच्चे तेल की कीमतों में कमी है, वहीं देश में पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडरों के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। यह समझ से परे है। देश में किसानों की दशा पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि खेती करने वाले अन्नदाता आज सरकार की गलत नीतियों के कारण मार पड़ रही है और ऐसे में उपाय केवल यही है कि सभी किसान संगठित होकर अपने हकों के लिए संघर्ष करें।
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