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उखेड़ा रोग से कपास की फसल हो रही नष्ट

जागरण संवाददाता, सिरसा : कपास की फसल में उखेड़ा रोग से फसल नष्ट हो रही है। सिरसा जिल

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 10:49 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 10:49 PM (IST)
उखेड़ा रोग से कपास की फसल हो रही नष्ट
उखेड़ा रोग से कपास की फसल हो रही नष्ट

जागरण संवाददाता, सिरसा :

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कपास की फसल में उखेड़ा रोग से फसल नष्ट हो रही है। सिरसा जिले में ओढ़ां व चौपटा क्षेत्र में उखेड़ा रोग से काफी नुकसान हुआ है। इससे किसानों को काफी आर्थिक तौर पर नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के उपनिदेशक ने उखेड़ा रोग से फसल को हुए नुकसान की कृषि विकास अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में सबसे अधिक कपास की सिरसा जिले में खेती की जाती है। जिले में 2 लाख 8 हजार हेक्टेयर पर कपास की खेती होती है। इसलिए जिले को कॉटन काउंटी जिला भी कहा जाता है।

पिछले दस दिनों में कई एकड़ फसल नष्ट

चौपटा और ओढ़ां क्षेत्र में उखेड़ा रोग से फसल अधिक नष्ट हुई है। उखेड़ा रोग में अभी तक देखने में आया है कि 80 प्रतिशत से अधिक नुकसान फसल को पहुंच पाता है और पौधों की रिकवरी नहीं हो पाती रही है। उखेड़ा रोग से हुए नुकसान से चिन्ता में हैं। किसान कृषि विभाग के अधिकारियों को अवगत करवा रहे हैं। जिसको लेकर कृषि विभाग के अधिकारी खेतों में जाकर निरीक्षण भी कर रहे हैं।

अचानक होती फसल नष्ट

उखेड़ा रोग से फसल अचानक नष्ट हो जाती है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार उखेड़ा रोग बार-बार एक ही फसल की बिजाई करने से आता है। इससे भूमि के अंदर पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इस समय फसलों में अधिक ¨टडे लगे हुए होते हैं। जिसके कारण पौधों को अधिक खुराक की आवश्यकता होती है। फसल को अधिक खुराक नहीं व ¨सचाई पानी की कमी से फसल अचानक नष्ट हो जाती है। ऐसे कर सकते हैं किसान फसल का बचाव

उखेड़ा रोग आने पर किसान कोबाल्ट क्लोराइड नामक दवाई एक ग्राम 100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यह स्प्रे करने के दौरान पौधे पुन: स्वस्थ हो जाते हैं। 48 घंटे के दौरान स्प्रे करने से परिणाम 75 से 80 फीसदी हो जाती है। लेकिन जैसे-जैसे देरी हुई वैसे-वैसे रिकवरी पौधों की की मुश्किल होती है। चौपटा व ओढ़ां क्षेत्र में उखेड़ा रोग ज्यादा आया है। भूमि के अंदर पोषक तत्वों की कमी के कारण यह रोग आता है। क्योंकि किसान जैविक खादों का प्रयोग नहीं करते हैं। वहीं किसान बार बार एक तरह की फसल लेते हैं। किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए।

डा. बाबूलाल, उपनिदेशक, कृषि विभाग


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