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मुख्यमंत्री से मांगी घग्घर बाईपास खरीफ नहर, भाजपा नेता बोले-नहर आई तो खत्म होगा पांच दशक का सूखा

संवाद सहयोगी, डबवाली : चौटाला के गढ़ डबवाली में सियासत की गर्माहट अभी से विधानसभा चुनाव का

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 05:13 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 05:13 PM (IST)
मुख्यमंत्री से मांगी घग्घर बाईपास खरीफ नहर, भाजपा नेता बोले-नहर आई तो खत्म होगा पांच दशक का सूखा
मुख्यमंत्री से मांगी घग्घर बाईपास खरीफ नहर, भाजपा नेता बोले-नहर आई तो खत्म होगा पांच दशक का सूखा

संवाद सहयोगी, डबवाली :

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चौटाला के गढ़ डबवाली में सियासत की गर्माहट अभी से विधानसभा चुनाव का अहसास करवा रही है। पंजाबी-सिख समाज का बैनर पकड़कर आगे आए भाजपा नेता बलदेव ¨सह मांगेआना तथा राजेंद्र देसूजोधा ने पंजाबी बाहुल्य इलाके के किसानों के लिए बहुत बड़ी मांग मनोहर सरकार के सामने रखी है। दोनों नेताओं का कहना है कि विकास के मामले में पिछले पांच दशक से पंजाबी बहुल इलाका सूखा झेल रहा है। किसानों के लिए योजना बनती है, फिर सर्वे होता है। लेकिन जब बारी बजट की आती है तो सरकारें अपने पांव पीछे खींच लेती हैं। चौटाला तथा हुड्डा सरकार में ऐसा ही हुआ। भाजपा नेता अपनी सरकार को भी कोसने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। हालांकि दोनों ने पंजाबी बहुल इलाके की खुशहाली के लिए सरकार से वर्षों से लंबित मांग पूरी करने की मांग की है। भाजपा नेताओं ने व्यर्थ जा रहे बाढ़ के पानी का सदुपयोग करने के लिए यमुना नदी के ताजेवाला हैड व‌र्क्स से 15 हजार क्यूसेक क्षमता का ¨लक चैनल शाहबाद मारकंडा होते हुए घग्घर नदी से जोड़कर सिरसा जिले में गांव लहंगेवाला से कालांवाली होकर करीवाला तक 20 हजार क्यूसेक क्षमता की घग्घर बाईपास खरीफ नहर का निर्माण करने की मांग की है। इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को मांग पत्र सौंप चुके हैं। भूमिगत जल के कारण हर गांव मे 20 से 25 कैंसर रोगी

चेयरमैन बलदेव ¨सह मांगेआना के अनुसार हर वर्ष बरसात के मौसम में यमुना नदी के ताजेवाला हैडव‌र्क्स का जल स्तर बढ़ जाने से बाढ़ आती है। आस-पास स्थित इलाके में फसलों को नुकसान पहुंचता है। दूसरी ओर जिला सिरसा के खंड डबवाली, ओढ़ां तथा बडागुढ़ा में भूमिगत जल की गुणवत्ता निम्न स्तर होने से फसलों की पैदावार, पशुधन एवं मानव स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इस क्षेत्र में भाखड़ा नहर का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने के कारण मजबूरीवश किसानों को अपनी फसल पैदा करने के लिए भूमिगत जल का उपयोग करना पड़ता है। इससे कृषि पैदावार एवं दुग्ध उत्पादन कम हो रहा हे। इंसान को कैंसर एवं काला पीलिया जैसी भयंकर बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। खरीफ नहर के लिए सर्वे हुआ था। सर्वेयर ने इसे फिजिबल करार दिया था। चौटाला तथा हुड्डा सरकार में दो बार सर्वे हो चुका है। सर्वे के बाद बात बजट पर अटक जाती। नहर पर करीब 225 करोड़ रुपये खर्च आने हैं। इससे पंजाबी बहुल इलाके की स्थिति सुधर जाएगी। लेकिन अत्याधिक बजट की वजह से सरकार कदम आगे नहीं बढ़ाती। हम इसके लिए प्रयासरत हैं। 23 सितंबर को सिरसा में होने वाले हरियाणा पंजाबी सिख सम्मेलन में इस मांग को उठाया जाएगा।

-राजेंद्र देसूजोधा, भाजपा नेता, कालांवाली


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