रेड जोन में आने वाली ग्राम पंचायतों में नहीं जली पराली तो मिलेगी नकद राशि
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं वा
जागरण संवाददाता, सिरसा : उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं वाले संभावित गांव जो रेड जोन में आते हैं और उनमें फसल अवशेष जलाने का कोई भी मामला सामने नहीं आता है उन्हें जिला प्रशासन द्वारा उन गांवों की पंचायतों को तीन से दस लाख रुपये की राशि से पुरस्कृत किया जाएगा।
उपायुक्त बिढ़ाण ने बताया कि रेड जोन में आने वाले गांवों में यदि इस वर्ष पराली जलाने की एक भी घटना नहीं होती है तो ऐसी जागरुक पंचायतों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार के रुप में क्रमश: दस लाख रुपये, पांच लाख रुपये व तीन लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा। उन्होंने पंचायत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों द्वारा कृषि यंत्रों से धान की बनाई गई गांठों को रखवाने के लिए प्रत्येक गांव में 2 से 3 एकड़ पंचायती जमीन को चिह्नित करें ताकि उस जगह पर धान की पराली से तैयार की गई गांठो को इकट्ठा किया जा सके। इस कार्य में संबंधित खंड विकास एंव पंचायत अधिकारी व कृषि विभाग के अधिकारियों सहयोग करेंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक गांव में ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन करें और धान की पराली न जलाने का प्रस्ताव पास किया जाए और ग्रामीणों को पराली न जलाने की शपथ के साथ-साथ प्रदूषण रोकने में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करें। इसके अलावा गांव में पंचायत की तरफ से स्थापित सीएचसी में 70 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें। -------- पराली प्रबंधन करने वाले किसान को दिए जाएंगे एक हजार रुपये प्रति एकड़ या 50 रुपये प्रति क्विंटल
उपायुक्त रमेश चंद्र बिढ़ाण ने बताया कि पिछले वर्ष जिन किसानों ने बेलर द्वारा धान की पराली का प्रबंधन करवाया था उसकी प्रोत्साहन राशि बेलर मालिक को दी गई थी परंतु इस वर्ष जो किसान अपने धान की पराली का कृषि यंत्र द्वारा पराली प्रबंधन करवाएगा तो उस किसान को प्रति एकड़ अधिकतम एक हजार रुपये या 50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसान को विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणासीआरएमडॉटकॉम पर अपना पूर्ण विवरण देकर पंजीकरण करवाना होगा। उन्होंने बताया कि किसान यदि औद्योगिक ईकाई में गांठों को बेचता है तो उसे संबंधित औद्योगिक ईकाई से बिल प्राप्त करना होगा। इसके अलावा यदि पंचायत द्वारा उपलब्ध करवाई गई भूमि पर गांठों को एकत्रित करता है तो ग्राम पंचायत एवं विभागीय कर्मचारियों द्वारा उसे सत्यापित प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा जिसे किसान द्वारा उक्त पोर्टल पर अपलोड करना होगा ताकि किसान को पराली प्रबंधन बारे प्रोत्साहन राशि दी जा सके।